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फोर्स की मनाही के बाद भी जोगी पहुंचे नंदराज पर्वत, कहा-आखिरी सांस तक लड़ूंगा आदिवासियों के हक़ की लड़ाई

locationदंतेवाड़ाPublished: Jun 09, 2019 10:13:29 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

आदिवासियों के आंदोलन (Tribal movement) में हिस्सा लेने बैलाडीला (Bailadila) पहुंचे अजित जोगी (Ajit jogi) ने कहा कि अब मुझे समझ आया कि आप लोगों को और मुझे यहां आने से क्यों रोका जा रहा था। सरकार की सच्चाई सामने आ चुकी है। मंत्री के संरक्षण में यहां हजारों पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई है। वो भी सिर्फ एक औद्योगिक घराने (Adani Group) को फायदा पहुंचाने के लिए

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फोर्स की मनाही के बाद भी जोगी पहुंचे नंदराज पर्वत, कहा आखिरी सांस तक लड़ूंगा आदिवासियों के हक़ की लड़ाई

जगदलपुर/ किरंदुल. बैलाडिला (Bailadila) के डिपॉजिट 13 अडानी को दिए जाने को लेकर आदिवासियों का आंदोलन (Tribal movement) तीसरे दिन भी जारी रहा। रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) सीआईएसफ और पुलिस की मनाही के बावजूद नंदराज पर्वत पहुंचे। उनके साथ मीडिया के लोग भी थे तब खुलासा हुआ कि पहाड़ी को खदान के अनुरूप बनाने 20 हजार से ज्यादा पेड़ काटकर उनमें आग लगाकर नष्ट करने की कोशिश की गई है।

जोगी (Ajit jogi) ने इस दौरान पहाड़ पर नंदराज और माता पिथोरा मेटा की पूजा-अर्चना भी की। इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब मुझे समझ आया कि आप लोगों को और मुझे यहां आने से क्यों रोका जा रहा था। सरकार की सच्चाई सामने आ चुकी है।
मंत्री के संरक्षण में यहां हजारों पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई है। वो भी सिर्फ एक औद्योगिक घराने (Adani Group) को फायदा पहुंचाने के लिए। जोगी ने कहा कि वे इस मामले को कोर्ट में लेकर जाएंगे। इस दौरान जोगी बैलाडीला (Bailadila) से 13 किमी की चढ़ाई के बाद अपने काफिले के साथ नंदराज पर्वत पहुंचे और वहां के हालात का जायजा लिया।
इलाके में माओवादी हलचल बताकर रोकना चाहा

जोगी और मीडिया के लोग जिस नंदराज पर्वत पर पहुंचे थे, वहां माओवादी लंबे समय से सक्रिय हैं। जोगी को जिला पुलिस और सीआईएसएफ के अफसरों ने इसी बात का हवाला देकर रोकने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें नाकाम रहे। जोगी अपनी बात पर अड़े रहे और आखिर में उन्हें आगे बढऩे की मंजूरी मिल गई।
रास्ते में कई जगह पर पत्थर और झाडिय़ा डालकर मार्ग अवरूद्ध करने का प्रयास नजर आया। इस पर जोगी ने कहा कि ये सब एनएमडीसी प्रबंधन और सरकार की चाल है। पेड़ों की कटाई का खुलासा होने के बाद जोगी की बातों को और बल मिल गया।
रात के अंधेरे में महीनों से चल रही कटाई

डिपॉजिट 13 को खनन योग्य बनाने के लिए पेड़ों की कटाई महीनों से जारी होने की बात सामने आई है। बैलाडीला पहुंचने पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में कटाई का काम चल रहा था। पेड़ों में आग भी रात में ही लगाई जाती थी। इसके बाद उसमें पानी डाल दिया जाता था ताकि पहाड़ पर धुंआ दिखाई ना दे। खदान तक भारी वाहनों के जाने और अन्य खनन उपकरण स्थापित करने के लिए पेड़ काटे गए हैं।
आदिवासी तीर-कमान साथ लेकर कर रहे रतजगा

बैलाडीला के सीआईएसएफ चेक पोस्ट के सामने दूर-दराज से आए हजारों ग्रामीण पिछले तीन दिन से डटे हुए हैं। आदिवासी हाथों में तीर-कमान लेकर अपने लोगों की रक्षा में तत्पर दिखाई देते हैं। वे हथियारों के साथ ही रतजगा कर रहे हैं। बस्तर की पुरातन संस्कृति की झलक आंदोलन के दौरान देखने को मिल रही है।
हर रात यहां लोक नृत्य कर अपने आंदोलन में जोश भर रहे हैं। आंदोलन स्थल पर ही खाना पकाकर खाया जा रहा है। यहां पहुंचे आदिवासियों ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि वे लंबी तैयारी के साथ आए हैं।
आंदोलन बनता जा रहा राजनीति का अखाड़ा

पिछले तीन दिनों से जारी आंदोलन अब राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है। जोगी के मोर्चा संभालते ही प्रदेश की राजनीति बैलाडीला पर केंद्रित हो गई है। रविवार को पूर्व दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा भी आंदोलन का हिस्सा बनीं और कहा कि वे किसी भी हाल में आदिवासियों की आस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने आदिवासियों के आंदोलन (Tribal movement) को समर्थन किया है। शनिवार को बीजापुर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष विक्रम मंडावी (Vikram Mandavi) ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए जरूरत पडऩे पर कांग्रेस सरकार के खिलाफ जाने की बात कही थी। आंदोलन के तीसरे दिन भाकपा नेता मनीष कुंजाम भी किरंदुल पहुंचे और उन्होंने डिपॉजिट १३ को लेकर हुई ग्राम सभा को फर्जी बताते हुए थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
लोडिंग, माइनिंग का काम ठप, एनएमडीसी को करोड़ों का नुकसान

तीन दिनों से चल रहे आंदोलन की वजह से बैलाडीला के अन्य डिपॉजिट में चल रहे खनन का काम भी ठप पड़ा हुआ है। माइनिंग और लोडिंग बंद हैं। कनवेयर बेल्ट रन नहीं किया जा रहा है। इस वजह से लौह अयस्क नीचे नहीं पहुंच रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आदिवासियों के आंदोलन को एनएडीसी के प्रमुख ट्रेड यूनियन संयुक्त खदान मजदूर संघ और इंटक ने अपना समर्थन दे दिया है। दोनों ही ट्रेड यूनियन प्राइवेट कपंनी को खनन का काम दिए जाने का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि ऐसा होने पर भविष्य में श्रमिकों के लिए बड़ी समस्या हो सकती है।
भूपेश के कहने पर लौट रहा हूं, गलत हुआ तो वापस आऊंगा

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) रविवार रात 9 बजे बैलाडीला (Bailadila) से रायपुर के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि भूपेश ने अपने बयान में कहा कि जोगी जब तक बैलाडीला में रहेंगे ग्राम सभा नहीं हो सकती
है। ऐसे में उनके कहने पर और आदिवासियों के हित (Tribal movement) को ध्यान में रखते हुए मैं वापस जा रहा हूं, लेकिन अगर इसके बाद कुछ भी गलत हुआ तो फिर वापस लौटूंगा और अंतिम सांस तक आदिवासियों के हित में लड़ाई लडूंगा।
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