करका में फोर्स ने गाय ढूंढने गए चार नाबालिग पर गोली चलाई गई। इसमें सोमारू नाम के लड़के की मौत हो गई। हिड़मा उर्फ बोटी घायल है। दोनों के साथ मनोज और मंगू थे, उनका कहना है वे गाय ढूंढ रहे थे। पीछे से किसी ने आवाज लगाई। नहीं रुके तो गोली चलाई। गोली की आवाज सुन वे पहाड़ी के पीछे छिप गए। दो दिन तक जंगल में ही रहे। लौट कर आए तो पता चला कि हिड़मा को गली लगी है। सोमारू का कोई पता नहीं है। दो दिन बाद परिजनों को पुलिस ने उसका शव दिया। जहां गोलीबारी की है वहां ग्रामीण धान मिंजाई करते हैं। मनोज का कहना है वहां कोई माओवादी मौजूद नहीं था।
इधर गोमपाड़ में मुंडे मरकाम पति कोसा, सोयम बेरी पति बुधरा, सोयम रामे पति सीता व सोयम मिकी चारों तालाब में मछली पकड़ रहे थे। इसी दौरान गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुन भागने लगे। एक गोली सोयम रामे को लगी। उसका इलाज भद्राचलम में चल रहा है। जिसे पुलिस माओवादी बता रही है। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष सुरेश कर्मा, जिपं सदस्य बिमला सोढ़ी, सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी व धीरज राणा मौजूद रहे।
आप नेत्री सोनी सोढ़ी ने कहा, दोनों मुठभेड़ पर सर्व आदिवासी समाज ने जांच दल का गठन कर हकीकत जानने के लिए गांव भेजा था। वहां की परिस्थतियां मुठभेड़ की नहीं है। निर्दोषों को जान बूझकर गोली मारा गया है। बस्तर में आदिवासी स्वच्छन्द विचरण करना भूल गया है। यदि कोई भी निकाले चाहे बूढ़ा, बच्चा या जवान हो गोली का शिकार हो सकता है। वन संपदा के बजाय अंदरूनी इलाकों के लोग खोखे बीन रहे हैं। महुआ बीनने गए तो गोली चल रही है। गोलियों की तड़तड़ाहट में जो मर गया, उसकी लाश पहुंचा दी जाती है। इसके बाद उनको दफनाया जा रहा है। हालात आदिवासियों के खिलाफ है, आदिवासियों का जंगल में घूमना महफूज नहीं है।
बस्तर में पुलिस फोर्स पर फर्जी मुठभेड़ के आरेाप पहली बार नहीं लग रहे हैं। इससे पहले भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं। गत दिनों गंगालूर इलाके में हुए गोलीबारी में घायल हुए बालक हिड़मा को ग्रामीण बचेली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया। नाबालिग बालक ने फोर्स के द्वारा गोली मारने की बात कही। इसके बाद आप नेत्री सोनी सोरी ने बालक से मुलाकात के बाद गांव जाकर सच्चाई जानने का निर्णय लिया। अपने दल के साथ वह गांव पहुंची और घटना की हकीकत टटोली।