इस नदी में साल भर पानी रहता है। मानसून काल बीतने के बाद जल स्तर कम होने पर किसी तरह गाड़ियां मंगनार तक पहुंच पाती हैं। मानसून काल में तेज बहाव के चलते ये सभी गांव पूरी तरह टापू में बदल जाते हैं। इस दौरान लोगों को दैनिक उपयोगी सामान खरीदने से लेकर बीमार लोगों को बारसूर तक पहुंचाने में भी दिक्कत होती है।
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मंगनार के नजदीक ग्रामीणों ने गुडरा नदी पर बाइक पार करने के लिए बिजली के खंभों से जुगाड़ (Jugaad) वाला पुल बनाया है, जो मानसून सीजन में तो डूब जाता है, लेकिन बाकी समय बाइक पार करने के काम आता है। जुगाड़ वाले इस पुल में बिजली के 12 पोल लगे हुए हैं।
मंगनार के नजदीक ग्रामीणों ने गुडरा नदी पर बाइक पार करने के लिए बिजली के खंभों से जुगाड़ (Jugaad) वाला पुल बनाया है, जो मानसून सीजन में तो डूब जाता है, लेकिन बाकी समय बाइक पार करने के काम आता है। जुगाड़ वाले इस पुल में बिजली के 12 पोल लगे हुए हैं।
प्रशासनिक नियंत्रण में दिक्कत
राजस्व जिला बीजापुर में शामिल होने की वजह से कोसलनार व मंगनार का प्रशासकीय नियंत्रण बीजापुर प्रशासन के हाथों में है, लेकिन भौगोलिक दृष्टिकोण व प्रशासनिक नियंत्रण में सहूलियत के लिहाज इन दोनों पंचायतों को दंतेवाड़ा जिले में शामिल करने पर ग्रामीणों को काफी राहत मिल सकती है। इस संबंध में प्रस्ताव संभागायुक्त व राज्य शासन स्तर पर लंबित है।
राजस्व जिला बीजापुर में शामिल होने की वजह से कोसलनार व मंगनार का प्रशासकीय नियंत्रण बीजापुर प्रशासन के हाथों में है, लेकिन भौगोलिक दृष्टिकोण व प्रशासनिक नियंत्रण में सहूलियत के लिहाज इन दोनों पंचायतों को दंतेवाड़ा जिले में शामिल करने पर ग्रामीणों को काफी राहत मिल सकती है। इस संबंध में प्रस्ताव संभागायुक्त व राज्य शासन स्तर पर लंबित है।