सीआरपीएफ डीआईजी डीएन लाल ने इसे बड़ी सफलता कहा
प्रदीप ने बताया कि बीमारी से परेशान होकर वह अपना इलाज करवाने तेलंगाना जाना चाहता था। लेकिन माओवादियोंं ने न तो उसका इलाज करवाया और न ही उसे बाहर जाने की इजाजत दी। गोंडेरास मुठभेड़ में माओवादी लीडर राधा के मारे जाने से माओवादी उस पर शक करते थे। जिसकी वजह से उसने सरेंडर करने का फैसला लिया।
एसपी डॉ अभिषेक पल्लव व सीआरपीएफ डीआईजी डीएन लाल ने इसे बड़ी सफलता कहा है।
बुर्कापाल मुठभेड़ और टीआई नागवंशी की हत्या में भी था शामिल
वर्ष 2008 से माओवादी संगठन में शामिल हुए प्रदीप ने मलांगिर एरिया कमेटी के अलावा माओवादी लीडर गणेश उइके के गनमेन के तौर पर और एसजेडसी मेंबर चैतू के साथ लंबे समय तक काम किया। आत्मसमर्पण करने वाले प्रदीप ने स्वीकारा कि वह 26 जून 2011 को पटेलपारा किरंदुल में पेट्रोलिंग पार्टी को विस्फोट से उड़ाने की वारदात में शामिल था। जिसमें टीआई डीएन नागवंशी समेत 3 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा सुकमा जिले के बुरकापाल में एंबुश लगाकर सीआरपीएफ के 25 जवानों की हत्या, 13 मई 2012 को किरंदुल में सीआईएसएफ के 5 जवानों व 1 सिविलियन की हत्या, वर्ष 2012 में माड़ेंदा नाला में एंटी लैंडमाइन व्हीकल को ब्लास्ट से उड़ाने की वारदात में भी शामिल रहा।
पत्नी पहले ही जेल में बंद
सरेंडर करने वाले प्रदीप की पत्नी सोड़ी गंगा गोंडेरास की निवासी है। 5 लाख की इनामी यह महिला माओवादी दिसंबर 2019 से जगदलपुर जेल में बंद है। एसपी डॉ पल्लव ने कहा कि उसकी पत्नी की रिहाई व सरेंडर के प्रयास किए जाएंगे। ताकि दोनों मुख्य धारा में रहकर देश व समाज की सेवा कर सकें। एसपी ने कहा कि प्रदीप के सरेंडर से पुलिस को बड़े माओवादी लीडरों की गोपनीय जानकारियां मिली हैं।