शहादत की कीमत पर बनी सड़क
प्रशासन व पुलिस के अथक प्रयास के बाद अरनपुर से जगरगुंडा मार्ग खुल चुका है। जवानों ने सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा में शहादत देकर इसे अंजाम तक पहुंचाया है। नक्सलियों द्वारा बिछाए गए 500 से ज्यादा प्रेशर आईईडी व स्पाइक होल्स को निष्क्रिय कर जवानों ने इस रास्ते को खुलवाया। अब इस पर आवाजाही शुरू हो गई है। हालांकि कमारगुड़ा से जगरगुंडा के बीच साढ़े 5 किमी की सड़क का डामरीकरण कार्य अभी बाकी है। इसके बावजूद इस मार्ग पर आम लोगों की आवाजाही धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। कभी वनोपज व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र रहे सुकमा जिले के जगरगुंडा तक फिर दंतेवाड़ा जिले से व्यापारी पहुंचने लगे हैं।
अरनपुर से जगरगुंडा के बीच है पांच कैम्प
इस सड़क निर्माण कार्य को सुरक्षा देने में सुरक्षा बलों के 5 कैम्प स्थापित किये गए हैं। अरनपुर से जगरगुंडा के बीच 18 किमी की दूरी में अरनपुर, कोंडापारा, कमल पोस्ट, कोंडासावली, कमारगुड़ा में सीआरपीएफ के कैम्प लगे हुए हैं। सर्पीली घाटियों के बीच से दूर-दूर तक पहाड़ी श्रृंखला का विहंगम नजारा यहां से गुजरने वाले यात्री देख सकते हैं। आने वाले दिनों में इस मार्ग पर आवाजाही बढ़ने की संभावना है।
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जो भी व्यक्ति इस सड़क से पहली बार गुजरता है, इसकी नैसर्गिक खूबसूरती का कायल हो जाता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 3500 फीट है। निकट भविष्य में इसके बड़ा पर्यटन केंद्र बनकर उभरने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जैव विविधता से भरपूर
अरनपुर घाट बायो डाइवर्सिटी यानी विविधता के मामले में भी काफी समृद्ध है। फूलों की इस घाटी में बेंत व वन तुलसी जैसी वनस्पति की प्रचुरता है। यहां पर वन्य जीवों की भी अधिकता है, लेकिन नक्सली समस्या के चलते वन्य जीवों की गणना इस इलाके में संभव नहीं है।