नवाचार के तौर पर इस एजुकेशन सिटी ने ऐसी ख्याति अर्जित कर ली कि राष्ट्रपति रहते रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इसका निरीक्षण कर चुके हैं। कुछ साल पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसी केपीएमजी ने इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में विश्व के 10 चुनिंदा बड़े संस्थानों में इस एजुकेशन सिटी जावंगा को जगह दी थी। इस रेटिंग में देश से साबरमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और एजुकेशन सिटी जावंगा ही स्थान पा सके थे।
एजुकेशन सिटी में एनएमडीसी डीएवी पॉलीटेक्निक, कन्या शिक्षा परिसर, आस्था गुरुकुल, दिव्यांग बच्चों के लिए बैरियर फ्री आवासीय परिसर, क्रीड़ा परिसर, आदि संचालित हैं।
ऐसे हुई शुरुआत
इस परियोजना की नींव वर्ष 2011 में तत्कालीन कलेक्टर रीना कंगाले ने रखी थी और इसे मूर्त रूप दिया उनके बाद पदस्थ कलेक्टर ओपी चौधरी ने। इस महती परियोजना के लिए बड़ी धनराशि की जरूरत थी, लिहाजा इसका समाधान निकालते हुए कन्वर्जन यानी समन्वय मद से सीएसआर, बीआरजीएफ, आइएपी और राज्य शासन की कुछ योजनाओं की राशि का इस्तेमाल किया गया। तब यह परियोजना मूर्त रूप ले सकी।
बाद में कलेक्टर केसी देवसेनापति ने यहां पर दिव्यांग बच्चों के लिए बैरियर फ्री आवासीय परिसर सक्षम-1 व सक्षम-2 की शुरुआत की। कलेक्टर सौरभ कुमार ने यहां पर 1000 युवाओं को रोजगार दिलाने बीपीओ कॉल सेंटर शुरू किया। नक्सल पीड़ित परिवारों के बच्चों के लिए संचालित इंग्लिश मीडियम आस्था विद्यापीठ में अत्याधुनिक ऑडियो-विजुअल तकनीक और स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाओं का उपयोग होता है, जो बड़े शहरों में संचालित महंगे से महंगे बोर्डिंग स्कूलों से भी कहीं आगे है।