रिहाई के बाद ये शनिवार की शाम को सुकमा स्थित सीपीआई कार्यालय पहुंचे, जहां ये सभी लोग रात बिताई उसके बाद दूसरे दिन रविवार को सीपीआई नेता मनीष कुंजाम से चर्चा करने के बाद ये लोग अपने-अपने घरों के लिए रवाना हुए। इन सभी लोगों का कहना था कि इन 5 सालों में उनका परिवार बिखर चुका है, वे जेल में होने की वजह से कईयों के मां-बाप का मौत हो गया। इस बात का मलाल है कि अगर वे उनके पास रहते तो जरूर उनका इलाज कर पाते, अब उनके पास पछतावे के सिवा और कुछ नहीं था। सभी लोगों की आंखें नम थी और इन 5 सालों के दौरान उनके परिवार के बिखर का दर्द आपने अंदर समेट हुए थे, आगे फिर से जीवन की शुरुआत की नई उम्मीद के साथ करने के लिए गांव रवाना हुए।
बुर्कापाल निवासी मड़कम हूंगा ने बताया कि बुर्कापाल घटना के पश्चात गांव में आकर सुरक्षा बल के जवान उनके भाई मड़कम बामन को नक्सली बताकर उसे मार डाले, इस घटना के पश्चात हम लोग भी डर के गांव छोड़कर भाग गए थे, मीटिंग कर सीआरपीएफ ने गांव से भागे लोगों को गांव बुलाया गया और गांव में रहने की बात कही। गांव आने के बाद अचानक गांव को घेर कर सुबह 4 बजे मीटिंग के नाम पकड़कर कैंप लाया गया, उसके बाद दोरनापाल लाया गया और फिर सुकमा लाकर हम सब को आरोपी बनाकर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया।
उन्होंने बताया कि उनके परिवार में मां, पत्नी और दो बच्चे थे, 2021 में उनकी पत्नी ने दूसरी शादी कर ली, अभी दोनों बच्चे मां के साथ रहते हैं, बिना वजह हम लोगों को आरोपी बनाकर जेल में डाल दिया गया था, न्यायालय से हम लोगों को दोषमुक्त कर दिया है, यह हमारे लिए राहत की बात है, लेकिन इस बीच मेरा परिवार उजड़ गया इसका दोषी कौन है।
प्रदेश सरकार ने इन लोगों की रिहाई के लिए नहीं किया कोई प्रयास : मनीष कुंजाम
सीपीआई नेता एवं पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने बताया कि बुर्कापाल घटना के आरोप में बिना किसी सबूत के 122 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि प्रदेश सरकार ने अपनी चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि जेल में बंद निर्दोष लोगों को रिहा किया जाएगा, लेकिन इन लोगों के पक्ष में सरकार ने किसी भी प्रकार की पहल नहीं की गई। कई समस्याएं इन परिवारों के ऊपर इन 5 वर्षों में झेलनी पड़ी। इन सब विपदाओं के बीच आज इन लोगों को न्याया मिला है। इस दौरान सीपीआई नेता रामा सोडी, मंजू कवासी सहित अन्य सीपीआई कार्यकर्ता मौजूद रहे।