scriptनिर्बन्ध : गुणहीन | Mahasamar By Narendra Kohli In Rajasthan Patrika | Patrika News

निर्बन्ध : गुणहीन

locationदंतेवाड़ाPublished: Feb 04, 2017 05:55:00 pm

Submitted by:

अर्जुन ने एक अवसादपूर्ण दृष्टि कृष्ण पर डाली, शायद समझाने से कर्ण समझ जाए। तुम कर्ण की आंखों के सम्मुख, उसके पुत्र वृषसेन को मार डालो। उसकी समझ में सब कुछ आ जाएगा।

ऐसा ही होगा गोविंद! अर्जुन ने कह तो दिया; किंतु कृष्ण को अर्जुन अब भी अन्यमनस्क ही लग रहा था। मुझे लगता है अर्जुन कि अब भी तुम्हारे मन में कहीं यह है कि दुर्योधन से संधि हो जाए, कर्ण को समझा दिया जाए। कृष्ण बोले, क्या यह सत्य नहीं है? सत्य है केशव! कौन नहीं चाहता कि यह तर्कहीन क्रूर विनाश बन्द हो। 
अर्जुन ने एक अवसादपूर्ण दृष्टि कृष्ण पर डाली, शायद समझाने से कर्ण समझ जाए। तुम कर्ण की आंखों के सम्मुख, उसके पुत्र वृषसेन को मार डालो। उसकी समझ में सब कुछ आ जाएगा। कृष्ण बोले, तब उसे पितामह, आचार्य और महात्मा विदुर के वचनों का मर्म भी समझ में आ जाएगा। 
कृष्ण रथ को वहीं ले आए थे, जहां पांडव सेनाएं कर्ण से जूझ रही थीं। अर्जुन ने देखा धृष्टद्युम्न, धृष्टद्युम्न के पुत्र, शिखंडी, नकुल, सहदेव, शतानीक, सुधर्मा, सात्यकि और द्रौपदी के पांचों पुत्र प्राय: असहाय होकर कर्ण के वश में पड़ गए लगते थे। अब भी कर्ण को समझाओगे तुम। 
कृष्ण बोले, अब भी यदि तुमने कर्ण को नहीं मारा तो सर्वनाश हो जाएगा अर्जुन! अर्जुन ने तूणीर में से विकर्ण नामक बाण निकाल लिया था, नहीं! अब क्या समझाना। और ऐसे में कर्ण समझेगा भी क्या। आज तो धृतराष्ट्र ही अपनी कूटनीति पर पछताएंगे। विश्वास कीजिए, आज धृतराष्ट्र अपने राज्यसुख, लक्ष्मी और अपने पुत्रों से बिछुड़ जाएंगे। जो गुणवान से द्वेष करता है और गुणहीन को राजा बनाता है, विनाशकाल उपस्थित होने पर वह सिर धुनने के सिवाय और कर ही क्या सकता है। 
आज धृतराष्ट्र के लिए वही अवसर आ गया है। सावधान अर्जुन! कर्ण ने तुम्हारे वध का व्रत ले रखा है। जिस दुरात्मा ने मेरे वध का व्रत लिया है, उस पापी को इन बाणों से मार कर रथ से नीचे गिरा दूंगा। अर्जुन ने कहा, अच्छा किया आपने मुझे कर्ण का अवमूल्यांकन न करने की चेतावनी दे दी; किंतु धनुर्वेद में मेरी समानता करने वाला इस संसार में और कोई नहीं है। 
नरेंद्र कोहली के प्रसिद्ध उपन्यास से 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो