केरल राज्य की पहचान बन चुका मेडिकल टूरिज्म
केरल राज्य में देश विदेश के ज्यादातर सैलानी नैसर्गिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने के साथ ही पंचकर्म जैसी आयुर्वेद की विशेष विधा से शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए जाते हैं। पंचकर्म व प्राकृतिक चिकित्सा के कई केंद्र केरल में संचालित हैं। पंचकर्म व आयुर्वेद की वजह से केरल में मेडिकल टूरिज्म राज्य की अर्थव्यवस्था का अहम अंग बन चुका है। इसी तर्ज पर दक्षिण बस्तर में उपलब्ध वनौषधियों व यहां की विशिष्ट जलवायु की वजह से मेडिकल टूरिज्म की काफी संभावनाओं के अनुरूप काम करने की तैयारी की जा रही है। नव पदस्थ कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि प्रचुर मात्रा में मिलने वाली वनौषधियों व आयुर्वेद को बढ़ावा देकर मेडिकल टूरिज्म विकसित किया जाएगा। ताकि लोग यहां की विशिष्ट संस्कृति, परंपरा व धरोहर से परिचित होने के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी ले सकें।
कोरोना से लडऩे में अहम साबित हो रहा आयुर्वेद
कोराना संकट के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद के कारगर होने की बात सामने आ चुकी है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी गाइड लाइन जारी कर औषधीय काढ़े का सेवन करने और जरूरी उपाय के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने सलाह आम जनों को दी है। इस लिहाज से भारत की प्राचीन विधा आयुर्वेद का महत्व और भी बढ़ गया है। दंतेवाड़ा जिले में संचालित क्वारंटाइन सेंटरों में भी आयुष चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है और सेंटर में रखे गए लोगों को नियमित रूप से आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया जा रहा है।
आयुष पॉलीक्लीनिक में पंचकर्म की सुविधा दुरूस्त करने की तैयारी
जिला मुख्यालय में 5 साल स्थापित आयुष पॉलीक्लीनिक में संचालित पंचकर्म चिकित्सा केंद्र के दिन बहुरने लगे हैं। अरसे बाद इस सेंटर को फिर से शुरू करने की तैयारी की गई है। कलेक्टर सोनी ने पॉलीक्लीनिक व पंचकर्म में उपलब्ध संसाधन, स्टाफ की जानकारी के साथ ही इसे अपग्रेड करने के लिए प्रस्ताव मंगवाया है। जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ सरयू प्रसाद पटेल ने बताया कि पंचकर्म विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी होने के चलते सूरनार में पदस्थ डॉ जे पंडा को फिलहाल यहां बुला लिया गया है। पंचकर्म सहायक के तबादले पर चले जाने की वजह से खाली हुए पदों की जानकारी भेजी गई है।