इस मुठभेड़ में दो जवान घायल हो गए थे जिन्हें एयर लिफ्ट कर बेहतर इलाज के लिए रायपुर ले जाया गया। मौके पर मौजूद दोनों जिले के डीआरजी व एसटीएफ के जवानों ने इलाके की सर्चिंग जारी रखी थी। माओवादी ठिकाने पर की गई सर्चिंग के दौरान जवान उस समय हैरत में पड़ गए जब एक झोपड़ीनुमा मचान पर डंप किए गए माओवादी साहित्य, दैनिक उपयोग के सामानों के साथ ही बैटरी, प्रिंटर, इनवर्टर, की-बोर्ड जैसे अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी बरामद हुए। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि संभवत: यह माओवादियों की कोई प्रिंटिंग यूनिट थी जिसमें फोर्स की दबिश का अंदाजा माओवादियों को नहीं था।
ज्ञात हो कि अपने टीसीओसी यानी टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन में फोर्स पर बड़े हमले करने की योजना बना रहे माओवादियों पर फोर्स ने दबिश देकर उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचाया है। पतझड़ के मौसम में माओवादी टीसीओसी अभियान के तहत फोर्स पर बड़े हमले करते रहे हैं। पतझड़ में जंगल में पत्ते झड़ जाने की वजह से फोर्स की गतिविधियां दूर से ही दिखाई पड़ जाती हैं इस वजह से माओवादी इस मौसम को बड़े हमलों के लिए उपयुक्त मानते हैं। इसे टीसीओसी का नाम दिया गया है। दंतेवाड़ा जिले में स्थित बैलाडीला की पहाडिय़ों के दूसरी तरफ बीजापुर जिले की सरहद शुरू हो जाती है।
जवानों की वापसी के बाद ही बाकी बातों का खुलासा होगा
इस इलाके में फोर्स की आसान पहुंच नहीं होने की वजह से माओवादी इसे अपनी सुरक्षित पनाहगाह मानते रहे हैं, लेकिन इस बार टीसीओसी के दौरान फोर्स ने आक्रामक रणनीति अपनाते हुए बीजापुर व दंतेवाड़ा जिले का संयुक्त ऑपरेशन दो दिन पहले शुरू किया था जिसकी परिणति गंगालूर इलाके में इस मुठभेड़ के तौर पर हुई। इस ऑपरेशन में दंतेवाड़ा जिले के 500 और बीजापुर जिले से भी करीब इतने ही जवानों को लगाया गया है। दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने डंप बरामद होने की पुष्टि करते बताया कि दोनों जिले की फोर्स का ज्वाइंट ऑपरेशन चल रहा है। जवानों की वापसी के बाद ही बाकी बातों का खुलासा होगा।