चोरी की इस बिजली का इस्तेमाल निर्माणाधीन परिसर में रहने वाले मजदूरों, ठेकेदार के उपयोग और छड़ काटने व अन्य काम-काज के लिए मशीन चलाने में हो रहा है। महीनों से यह स्थिति जारी है। इससे विभाग को हजारों रूपए राजस्व का नुकसान हो रहा है।
पौने दो करोड़ के भवन में तकनीकी लापरवाही
करीब पौने दो करोड़ रूपए की लागत से यहां पर हाई सिक्योरिटी फोर्टीफाइड थाना भवन बनाया जा रहा है, जिसमें थाना के उपयोग के अलावा नक्सली क्षेत्र के हिसाब से जवानों के लिए बैरकनुमा कक्ष भी होंगे। पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी, जिसका काम टेंडर के जरिए जिस ठेकेदार को सौँपा गया है, उसकी तकनीकी निगरानी जगदलपुर में बैठे इंजीनियर करते हैं। जो धुर नक्सली इलाका होने के नाम पर महीनों लंबे अंतराल में इस तरफ निरीक्षण करने आते हैं। इस भवन के निर्माण में तकनीकी खामियां बहुत ज्यादा है।
कई जगह छत को थामने वाले कांक्रीट के बीम दब गए हैं, तो कई जगह पर ढलाई के दौरान चूक के चलते बीम व कॉलम सीधी नहीं बनी ही है। चैनल गेट व ग्रिल दीवार निर्माण के वक्त लगाने की बजाय बाद में दीवारों को खोदकर फिट किए गए हैं, जिसकी मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, कांक्रीट के कॉलम व बीम तैयार करने में स्तरहीन रेत का इस्तेमाल भी भवन को कमजोर बना रहा है।
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निर्माण में अनावश्यक देरी
वर्तमान थाना सीआरपीएफ कैंप के साथ उपलब्ध बैरकनुमा कमरे में संचालित हो रहा है। इससे थाना के स्टाफ व फरियादी आगंतुकों को भी काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। मौके पर मौजूद ठेकेदार श्रीवास्तव ने इस बारे में कहा कि इस इलाके में सुरक्षा कारणों से मजदूर नहीं मिलते। इसलिए रायपुर व दूसरे इलाकों से मजदूरों को लाकर यहां काम करवाना पड़ रहा है, जिससे काम समय पर नहीं हो पाता है।
अरनपुर एसडीओपी कमलजीत पाटले ने इस मामले में कहा, थाना भवन का निर्माण तो हो रहा है, लेकिन ठेकेदार द्वारा हुकिंग कर बिजली उपयोग करने की जानकारी नहीं है। पता करवाते हैं।