अधिकारी खुलकर बोलने को तैयारी नहीं
बताया जा रहा है कि ठेकेदारों ने भी दिलचस्पी नही दिखाई है। पिछले वर्ष तेंदूपत्ता के लॉट एडवांस बुकिंग में गए थे। लेकिन इस बार माओवादियों का खुला फरमान है 2500 रुपए मानक बोरा नहीं, 3 हजार रुपए मानक बोरा से ठेकेदार पेमेंट करेगें तो जंगल में पत्ते की तुड़ाई शुरू होगी। यही वजह है जिले के दो दर्जन से अधिक फड़ खाली पड़े हैं। हालात ये है कि इस बार तीन हजार करोड़ भी यह व्यापार पहुुंचता है तो बड़ी बात है। वन विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बार तेंदू पत्ता की तुड़ाई माओवादी नही होने दे रहे हैं। लेकिन विभागीय अधिकारी खुल कर इस बात को बोलने के लिए तैयार नहीं है।
माओवाद के कड़े फरमान
अंदरूनी इलाकों के फड़ों में जो हालात बने है, वे इशारा माओवाद के कड़े फरमान की ओर कर रहे हैं। वन समितियां भी दहशत के चलते इस संदर्भ में कुछ भी नही कहना चाहती हैं। आदिवासियों का यह सीजन कमाई का होता है, लेकिन माओवादी फरमान के खिलाफ जा भी नहीं सकते हैं। गांव के लोगों ने दबीं जुबां में बताया कि तेंदू पत्ता अभी तोड़ा नहीं जा सकता है, जब तक अंदर से हां नहीं होगी। अभी न है और न का मतलब न होता है। इस शब्द का विरोध करना भारी पड़ सकता है। अंदरूनी इलकों में अपनी रोजी का बड़ा जरिया इस फरमान के चलते रुका हुआ है।
गीदम व दंतेवाड़ा में हो रही पत्तों की तुड़ाई
दंतेवाड़ा में फड़ हैं। इन सभी फड़ों पर तेंदूपत्ता की तुड़ाई वन समितियों के माध्यम से हो रही है। गीदम में भी 14 फड़ है, इन सभी फड़ों पर पत्ता तोड़ा जा रहा है। बड़े तुमनार में 21 फड़ है सिर्फ दो में तुडाई नहीं हो रही है। इस इलाके में ग्रामीणों को बड़ी राहत है। आदिवासी यहां तुडाई करवा रहा है और कुछ फड़ों को ठेकेदारों ने खरीदा भी है।
पिछले साल 6 करोड़ का हुआ था व्यापार
पूरे जिले के फड़ों में पिछले साल जबरदस्त तुडाई हुई थी। इतना ही नही ठेकेदारों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। वन विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 6 करोड़ से अधिक का हारा सोना व्यापारियों ने खरीदा था। इस बार 3 करोड़ रुपए का आंकलन अभी तक किया जा रहा है। विभाग अभी भी आशा में कि कुछ रास्ता निकले, लेकिन अभी तक इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
इस बार ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता तुड़ाई में दिलचस्पी नही ली है। इसलिए कई फड़ों पर तुड़ाई नहीं हो रही है।
डीएफओ, रमेश जांगड़ेे