दूसरा दिन : 7 जून : भरी हुंकार- बोले आस्था से हो रहा खिलवाड़
बैलाडीला के हिरोली गेट को दूसरे दिन आंदोलनकारियों ने जाम कर दिया। उसके सामने ही पंडाल लगाकर धरना शुरू कर दिया और कहा कि अडानी को खदान देना गलत है ये हमारी आस्था से खिलवाड़ है।
तीसरा दिन : 8 जून : जोगी पहुंचे और आंदोलनकारियों में भरा जोश
तीसरे दिन आंदोलन से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी जुड़ गए। उन्होंने सरकार को घेरते हुए आदिवासियों की आस्था से खिलवाड़ बंद करने की मांग की। जोगी के आंदोलन (Movememt) में शामिल होने से आदिवासियों में जोश बढ़ा।
चौथा दिन : 9 जून : खनन के लिए हजारों पेड़ों की कटाई
आंदोलन से जुड़े लोग पुलिस प्रशासन की मनाही के बावजूद अजीत जोगी के साथ नंदराज पर्वत (Nandiraj Pahadi) पर पहुंचे तो पाया कि यहां खनन के लिए हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं। इसी के साथ एक बड़ा खुलासा हुआ।
पांचवा दिन : 10 जून : बढऩे लगी आंदोलनकारियों की परेशानी
आंदोलन के पांचवें दिन तक आदिवासियों (Tribals) की तकलीफ बढऩे लगी। सैकड़ों गर्मी की वजह से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो चुके थे, वहीं जो बचे थे वे खाने, सोने और पानी की कमी से जूझ रहे थे।
छठवां दिन : 11 जून : मांग पूरी पर नहीं माने, बचेली पहुंचा आंदोलन
रायपुर में सांसद (Member Of Parliament) दीपक बैज के साथ जनप्रतिनिधियों की बैठक हुई। सीएम ने मांगें मान ली पर आदिवासी देर शाम फर्जी ग्राम सभा की जांच तीन दिन में कराने पर अड़ गए। रात १२ बजे तक आंदोलन खत्म करवाने का प्रयास होता रहा।
सातवां दिन : 12 जून : अल्टीमेटम पूरा पर देर रात नहीं हटे
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन (Administration) ने रात १२ बजे से पहले आंदोलन स्थल छोडऩे का अल्टीमेटम दिया पर आदिवासी नहीं हटे। बैलाडीला और बचेली में देर रात भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया।