ये इजरायली फल चमकाएगा बस्तर के किसानों की किस्मत, जानिए इस फल की 10 बड़ी खासियत
दक्षिण बस्तर की पहचान अब सिर्फ गोले-बारूद नहीं रही, यहां के किसान व युवा नित्य नए आयाम गढ़ रहे हैं। इजरायली फल का उत्पादन में दिखा रहे रूची

दंतेवाड़ा. दक्षिण बस्तर की पहचान अब सिर्फ गोले-बारूद के धमाकों के लिए नहीं रही है। यहां के किसान व युवा नित्य नए आयाम गढ़ रहे हैं। कड़कनाथ, बीपीओ, ई रिक्शा के बाद अब इजरायली जाम का उत्पादन अपनी पहचान बनाने के लिए जल्द ही बाजर में आएगा। कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) की मदद से आधा दर्जन से अधिक किसानों ने इजरायली जाम की बागवानी शुरू की है। करीब 40 एकड़ से किसानों ने शुरुआत की है।
किसानों के लिए आय का नया जरिया बन सकता है
पौधे लगाए चार माह हो चुके हैं। जिस तरह से ये पौधे ग्रोथ कर रहे हैं, वे इशारा कर रहे है कि बस्तर की जमीन और मौसम दोनों अनुकूल हैं। कसौली से सोनकू अटामी, चितालूर में लिंगू, हीरानार में लुदरूराम और बोमड़ा कश्यप ने अपने खेतों में पौधों को लगाया है। केवीके वैज्ञानिक किसानों को बागवानी व पौधों के रखरखाव के गुर समय-समय पर बताते रहते हैं। पौधे स्वस्थ्य हैं और कोई रोग भी नहीं है। इस लिए वैज्ञानिकों का भी मानना है कि यह बस्तर के किसानों के लिए आय का नया जरिया बन सकता है। यदि वृहद रूप में सफल हुए तो आने वाले समय में यहां के किसानों को इजरायली जाम की पैदावार के लिए जाना जाएगा।
80 से 150 रुपए प्रति किलो बाजार मूल्य
इजरायली जाम का बाजार मूल्य 80 रुपए से 150 रुपए तक रहता है। फल का बजन 300 ग्राम से 800 ग्राम तक होता है। अभी किसान बागवानी को सहेज रहे हैं। दो साल के बाद इस बागवानी के परिणाम आएंगे। छोटे स्तर पर अभी तैयारी की गई है। इस बागवानी को देख कर लगाता है, बस्तर में इसकी पैदावार अधिक होगी।एक साल में पैदावार
एक पेड़ से 20 से 25 किलो अमरूद निकलता है
400 के करीब पौधे एक एकड़ में लगाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन मीटर पौधे से पौधे की दूरी व कतार से कतार की भी दूरी भी तीन मीटर रखते हैं। छह माह के पौधे की ऊपरी हिस्से का करीब एक फूट भाग काटते हैं। एक साल में पेड़ बन जाता है और फल देने लगता है। अच्छी पैदावार के लिए दो साल के बाद ही उत्पादन लेना चाहिए। एक पेड़ से 20 से 25 किलो अमरूद निकलता है। यह जल्दी खराब नहीं होती है।
बस्तर का मौसम और जमीन अनुकूल
केवीके के प्रमुख वैज्ञानिक नारायण साहू ने बताया कि, कुछ किसानों को बागवानी करने की सलाह दी थी। छोटे स्तर पर प्रयोग किसानों से करवाया गया है। बस्तर का मौसम और जमीन अनुकूल है। एक बार पैदावार देखने के बाद बड़े पैमाने पर बागवानी करवाई जा सकती है।
अब पाइए अपने शहर ( Dantewada News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज