गांव में जनताना सरकार का राज, ग्रामीण चाहते हैं सुधरे हालात
गांव में सरकारी तंत्र के नहीं होने से यहां माओवादियों के जनताना सरकार का राज चलता है। लेकिन ग्रामीणों ने दबी जुबां कहा, गांव के लोग चाहते हैं किसी भी तरह से हालात सुधरे। कटेकल्याण मुख्यालय सड़क नहीं जुड़ती है तो न जुड़े पर पहाड़ी से होते हुए पांच किमी दूर तोंगपाल को ही जोड़ दिया जाए। इससे भी जीवन सुगम हो सकता है।
माओवादियों द्वारा खोदी सड़क से जाते हैं राशन लेने
प्रशासन की ओर से गांव के ग्रामीणों के लिए राशन की व्यवस्था नहीं की गई है। गांव के लोगों को राशन लाने 22 किमी दूर ब्लॉक मुख्यालय कटेकल्याण आना पड़ता है। यहां तक आने का सफर आसान नहीं है। गांव तक की पूरी सड़क माओवादियों ने खोद दी है। जगह-जगह कटी हुई सड़क की वजह से यातायात के कोई संसाधन गांव तक नहीं जाते। ग्रामीण 22 किमी का पैदल सफर कर राशन लेने कटेकल्याण आते हैं।
ज़मीनी अमला भी कभी-कभार ही पहुंचता है
जमीनी स्तर पर काम करने वाली सरकारी मशीनरी भी दो-चार माह में एक बार ही यहां पहुंचती है। अपनी खानापूर्ति कर वह भी वापस आ जाते हैं। कृषि विभाग, पंचायत, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी यहां नहीं पहुंचते हैं। गांव के लोगों की बात मानें तो सालों से नल खराब है, लेकिन सुधारने कोई नहीं आया।
कुएं के गंदे पानी पर जिंदा है पूरा गांव
आदिवासी बस्ती मारजूम के ग्रामीणों की प्यास एक कुएं से बुझती है जो गांव से करीब ढाई किमी की दूरी पर है। इसका पानी गंदा है, जिसे ग्रामीण कपड़े से छानकर उपयोग में लाते हैं। ग्रामीणों ने बताया, गांव के पूरे हैण्डपंप तीन साल से खराब पड़े हैं। कई बार शिकायत के बावजूद इन्हें सुधारा नहीं गया है। इसलिए ढाई किमी दूर से पानी लाना गांव के लोगों की मजबूरी है। सुबह से ही गांव के लोग पानी लाने की मशक्कत में जुट जाते हैं।
हैंडपंप खराब होने की जानकारी नहीं
पीएचइ के मुख्य कार्यपालन अभियंता आइपी मंडावी ने बताया कि, मारजूम में हैंडपंप खराब होने की जानकारी नहीं थी। यदि ऐसी स्थिति है तो इन्हें ठीक करवाया जाएगा। कर्मचारियों को जल्द ही भेज कर इस समस्या को दूर कर दिया जाएगा। ऐसा नहीं है कि वहां कोई कर्मचारी नहीं पहुंचता है।