बालाजी जहां मिला था लावारिश, फिर 24 साल बाद जन्मस्थल पहुंचकर थम गई सांसें, सपनों का कारवां सजा भी तो कैसा, बूझ गया उम्मीद का चिराग।
सपनों का कारवां सजा भी तो कैसा, बूझ गया चिराग
दंतेवाड़ा. गीदम व्यापारी मल्लिका अर्जुन के घर आया भांजा बाला जी नायडू (24) मंगलवार को हारम नदी में नहाने गया। जहां उसकी डूबने से मौत हो गई। पुलिस और गोताखोरों को शव को खोजने में तीन घंटे लगे। शव थोड़ी ही दूर आगे बने डेम में फंस गया था।
4 दोस्तों में एक नदी में पैर फिसलने से डूबा मृतक अपने चार दोस्तों के साथ सुबह 11 बजे निकला था। मुंह साफ करने के लिए नदी में पानी लेने के लिए झुका था, उसी दौरान पैर फिसल गया। जिससे वह डूबने लगा। दोस्तों ने बचाने का प्रयास किया, लेकिन वे डूबने सेे नहीं बचा सके। उनके देखते ही देखते युवक पानी में डूब गया और आंखों से ओझल हो गया। सूचना पर पहुंची पुलिस और गोताखोरों ने युवक की तलाश की। करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद शव मिला।
पीएम के बाद शव होगा परिजनों के सुपुर्द पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्ट होने के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। बताया जा रहा है कि वह रायुपर से मांई जी के दर्शन के लिए आया था। गीदम में मामा का घर होने के चलते रुक गया था। गीदम थाना प्रभारी परमानंद ठाकुर ने बताया कि शव युवक का बरामद कर लिया गया है। पोस्टमार्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
गीदम में मिला था लावारिश, 24 साल बाद सांसे भी थमी यहीं युवक की मौत के बाद लोगों को 24 साल पुरानी कहानी याद आ गई। जब यह पता चला कि नदी में डूबा युवक इसी शहर का था। वह लावारिश रोता-बिलखता नवजात मिला था। उस दौरान देखने के लिए भीड़ जमा हुई। इस बच्चे को पालने की जिम्मेदारी गीदम के रहने वाले मल्लिका अर्जुन ने उठाई। हालांकि बाद में इस बच्चे को उनके जीजा एम सेलवर राजू नायडू ने ले लिया। उन्होंने कहा बेटी ही है, ये बेटा उनको दे दो। उन्होंनेे बेटा उनको दे दिया। वह रायुपर लेकर चले गए। वहां पढ़ाई लिखाई कर रहा था। अब वह 24 साल का हट्टाकट्टा जवान हो चुका था। उसने अपने पिता से दंतेश्वरी मांई के दर्शन की इच्छा जाहिर की साथ हीे मामां से मिल कर आने के लिए भी कहा। उन्होंने इजाजत दे दी। लेकिन वह मांई जी के दरबार तक नही पहुंचा। गीदम में अपने मामा मल्लिका अर्जुन के घर रुका। सुबह करीब 10 बजे उनको यह दुखद सूचना मिली। एक बार फिर उसी लावारिश बच्चे के मिलने की तरह हुजुम उमड़ा। लोग हादसे की खबर सुन नदी की ओर भागे।
… और उजड़ गया उम्मीदों का बगीचा जिस उम्मीद के साथ अपने पत्नी का भाई मल्लिका अर्जुन से एम सेलवर राजू नायडू ने इस बेटे को लिया वह पूरी नहीं हुई। सपनों का कारवां सजा भी, 24 साल उसे पाल पोस कर जवां किया। लेकिन उम्मीदों का बगीचा उजड़ गया। बुढापे की सहारे की लाठी नहीं बन सका। एक बार फिर घर पहले की तरह हो गया। परिजन कहते है कि पहले तो था नहीं, लेकिन अब तो यादें उसकी घर के हर कोने में हैं। मल्लिका अर्जुन का कहना है कि जीजा पर अब इससे बड़ा दुख का पहाड़ न टूटेगा। पूरे परिवार की हालत खराब हो चुकी है। सभीे बदहवास है।