पार्वती ने मुख्यमंत्री को बताया कि विभिन्न समूहों के माध्यम से 40 हजार क्विंटल महुआ एकत्रित हुआ है। सरकार की संग्राहकों को राहत देने की नीति से लोगों में काफी खुशी है। इन महुआ संग्राहक महिलाओं की खुशी से भरी बातचीत ने मुख्यमंत्री को बहुत खुश कर दिया। उन्होंने जैसे ही सुना कि महुआ इंग्लैंड जा रहा है तो उन्होंने कह दिया, क्या बात है।
गौरतलब है की औषधीय रूप से महुआ बहुत ही मूल्यवान पेड़ है। इसके कई तरह के उपयोग हैं।इसके फूल का उपयोग कर के खांसी, पित्त और दिल संबंधी रोगों के औषधि तैयार किए जाते हैं।महुआ के फूलों को कच्चा, पका, सूखा या तल कर सेवन किया जाता है।शराब के उत्पादन में फूलों की एक बड़ी मात्रा का उपयोग किया जाता है।पारंपरिक रूप से महुआ की छाल का उपयोग गठिया, अल्सर, रक्तस्राव और टॉन्सिलिटिस में किया जाता है।दस्त में, छाल के आसव का एक कप दिन में दो बार लिया जाता है।छाल का पेस्ट सूजन एवं हड्डी के फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है।छाल का उपयोग कुष्ठ रोग को ठीक करने और घावों को भरने के लिए भी किया जाता है।छाल का काढ़ा खुजली, अल्सर और हाइड्रोसील में उपयोगी है।छाल के टुकड़े को हल्का गर्म कर के जोड़ों पर बाँधा जाता है।इसके बीजों से तेल निकाला जाता है जो कई एलर्जी विकारों तथा अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
दक्षिण भारत में सर्पदंश के इलाज के लिए महुआ (खास कर छाल) का उपयोग किया जाता है।एक्जिमा से राहत के लिए पत्तियों का लेप लगाया जाता है।खली (बीज का केक) में कीटनाशक गुण पाए जाते हैं तथा इनका उपयोग चावल, गन्ना आदि फसलों में जैविक खाद के रूप में भी किया जाता है।महुआ के पेड़ की लकड़ी का उपयोग घर का दरवाजा और खिड़की बनाने में किया जाता है।