हर माह चार सैकड़ा से ज्यादा डिलेवरी
जिला चिकित्सालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हर महीने जिला चिकि त्सालय में ही साढ़े तीन सौ से चार सौ प्रसूताओं की डिलेवरी होती है। इनमें से तीन से ढाई से तीन सौ महिलाओं को खून की कमी सामने आई है।ब्लड बैंक में खून कम होने की स्थिति में या तो परिजनों से खून लेना पड़ता है या फिर रक्त दाताओं से पूर्ति होती है। केन्द्रों पर भी प्रसूताओं को पोषण आहार के रूप में खाना दिया जाता है फिर भी हीमोग्लोबिन की कमी पाई जाती है।
जून में दो सौ यूनिट चढ़ाया खून
जिला चिकित्सालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हर महीने जिला चिकि त्सालय में ही साढ़े तीन सौ से चार सौ प्रसूताओं की डिलेवरी होती है। इनमें से तीन से ढाई से तीन सौ महिलाओं को खून की कमी सामने आई है।ब्लड बैंक में खून कम होने की स्थिति में या तो परिजनों से खून लेना पड़ता है या फिर रक्त दाताओं से पूर्ति होती है। केन्द्रों पर भी प्रसूताओं को पोषण आहार के रूप में खाना दिया जाता है फिर भी हीमोग्लोबिन की कमी पाई जाती है।
जून में दो सौ यूनिट चढ़ाया खून
जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं कि चालू वर्ष में जनवरी से लेकर अब तक हर माह जितना भी खून चढ़ाया गया।उनमें से तीन चौथाई महिलाएं तो प्रसूताएं थीं। उनमें हीमोग्लोबिन की कमी आने पर उन्हें खून चढ़ाना पड़ा । इनमें से सबसे ज्यादा हालात खराब जून में रहे। यहां करीब दो सौ यूनिट खून चढ़ाया गया । इनमें से 157 यूनिट खून तो केवल प्रसूताओं को चढ़ाया गया। बाकी अन्य लोगों को दिया गया। मई में 198 में से 98 को , मई में 16 7 में से 8 7 को, अप्रेल में 134 में से 72 को, मार्च में 126 में से 75 को फरवरी में 126 में से 75 को व जनवरी में 103 यूनिट में से 75 यूनिट तो केवल प्रसूताओं को देना पड़ा।
हीमोग्लोबिन की कमी पाई जा रही है लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए नियमित रूप से आयरन की गोलियां बांटी जा रही हैं।
डॉ. पीके शर्मा सीएमएचओ
डॉ. पीके शर्मा सीएमएचओ