हाल ही में केंद्र सरकार ने यह तय किया है कि 18 से 60 साल तक के लोगों के लिए कोरोना का बूस्टर डोज लगाया जाएगा। हालांकि यह व्यवस्था मुफ्त में नहीं की बल्कि पैसे खर्च कर यह बूस्टर डोज लोगों को लगवाना है। इसके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी निजी संस्थाएं इस काम को करने के लिए पात्र हैं। लेकिन जिले में स्थिति यह है कि कोई भी संस्था बूस्टर डोज लगाने में आगे नहीं आ रही। वजह ये बताई जा रही है कि जब लोग मुफ्त में टीके नहीं लगवा रहे तो 500 रुपए खर्च करके कौन रोज लगवाएगा। यही वजह है कि किसी संस्था या क्लीनिक ने अब तक बूस्टर डोज लगाने के लिए आवेदन नहीं किया। अब हालात यह है कि जो जागरूक लोग इस उम्र वर्ग के कोरोना का डोज लगवाना भी चाहें तो उन्हें कहीं व्यवस्था नहीं है। शासकीय अस्पतालों में सिस्टम नहीं है और निजी अस्पताल इसके लिए तैयार नहीं है जबकि चर्चा यह है कि अब कोरोना की चौथी लहर भी दस्तक देने वाली है।
बच्चे भी नहीं आ रहे आगे
12 से 14 साल तक के बच्चों के लिए करीब 1 महीने पहले कोरोना का पहला डोज लगाने की शुरुआत की थी। यह सारा का मुफ्त में चल रहा है फिर भी बच्चे कोरोना का डोज लगवाने नहीं आ रहे। हजारों लोग दूसरा डोज लगवाने के पात्र हैं, वह भी नहीं आ रहे इसीलिए निजी संस्थाएं इस काम में हाथ डालने से कतरा रही हैं।
500 रुपए होंगे खर्च
जानकारी के मुताबिक 18 से 60 साल तक के लोगों को बूस्टर डोज लगाने में करीब 500 रुपए खर्च होंगे। 225 का कोरोना का टीका होगा। जीएसटी लगेगी निजी संस्था का करीब 125 लगाने का खर्च होगा। इस तरह से करीब 500 रुपए टीका लगवाने वाले पर बोझ पड़ेगा। इसीलिए संस्थाएं इस काम को करने में आगे नहीं आ रही हैं।
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जब लोग कोरोना का डोज मुफ्त में लगवाने में झिझक रहे हैं तो 500 रुपए खर्च करके कौन लगवाएगा। इसीलिए निजी संस्थाएं इस काम में आगे नहीं आ रही।
-डॉ. डीके सोनी, जिला टीकाकरण अधिकारी