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नेहरू-इंदिरा से लेकर राष्ट्रपति कोविंद तक रहे हैं ‘राजसत्ता की देवी’ के भक्त, इनके आशीर्वाद के बाद शुरू होता है चुनाव प्रचार

locationदतियाPublished: Oct 10, 2020 08:42:09 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

नेता – अभिनेता बुरे वक्त में बंगलामुखी मां पीताम्बरा के दरबार में लगाते हैं हाजिरी

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दतिया। राजसत्ता और संकटों को हरने वाली ‘देवी’ मां पीताम्बरा के भक्त पूी दुनिया से मध्य प्रदेश के दतिया पहुंचते हैं। यहां आने वाले भक्तों में देश के दिग्गज राजनेताओं से लेकर बॉलीवुड स्टार्स तक शामिल हैं। इसे आस्था कहें या डर लेकिन कभी नेहरू से लेकर अटल बिहारी बाजपेयी तक ने देवी के आगे अपना मस्तक झुकाया था। यहां हर रोज सत्ता के सिंहासन पर बने रहने के लिए राजनेताओं की गुप्त पूजा होती रहती है। तो वही शस्त्रु विजय के लिए गुपचुप तंत्र-मंत्र भी करवाया जाता है। मध्य प्रदेश के मेगा उपचुनाव की शुरुआत भी बीजेपी और कांग्रेस ने मां बंगलामुखी के दर्शन के बाद ही की है।

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उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे दतिया शहर में स्थापित पीतम्बरा पीठ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मनसे प्रमुख राज ठाकरे, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएम कमलनाथ मां पीताम्बरा के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने आ चुके हैं। इस मंदिर के ट्रस्ट की देखभाल सिंधिया परिवार करता रहा है।

देवी के दर्शन के बाद चुनाव प्रचार की शुरुआत
मध्य प्रदेश में हो रहे उपचुनाव के प्रचार का आगाज भी इसी शक्ति पीठ के दर्शन के बाद हुआ। बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने पहले मां पीतम्बरा के दर्शन किये फिर चुनाव प्रचार शुरु किया। माना जाता है कि देवी की कृपा से ही कई राजनेताओं को सत्ता प्राप्त हुई है। इसलिये इन नेताओं की ओर से विशेष पूजा पीठ में चलती रहती है।

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नेहरू से लेकर राष्ट्रपति भी आ चुके हैं यहां
देश की राजनीति में ये पहली बार नहीं है जब सियासत के महारथी मां पीताम्बरा के दरबार में आए हो। नेता हो या अभिनेता जब भी कोई संकट में आता है तो उसे मां पीताम्बरा सबसे पहले याद आती हैं। यहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई हस्तियां दतिया आ चुके हैं और सबकी मुराद भी पूरी हुई है।

चीन युद्ध के दौरान नेहरू ने कराया था यज्ञ
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी यहां विशेष यज्ञ कराया था। उस समय चीनी फौज भारत की सीमा में आ गई थी और युद्ध छेड़ दिया था। इस संकट से निपटने के लिए पं. नेहरू ने 1962 में दतिया में 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था। 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज मौजूद है। यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का भी उल्लेख है।

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करगिल युद्ध के दौरान अटलजी ने ली थी मां की शरण
बताया जाता है कि 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी मां बगलामुखी ने देश की रक्षा की थी। साल 2000 में कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच पुन: युद्ध हुआ, किंतु हमारे देश के कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त रूप से पुन: साधनाएं एवं यज्ञ किए जिससे दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी। बताया जाता हैं कि यह यज्ञ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर कराया गया था।

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सत्ता की देवी मानते हैं लोग
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीताम्बरा को ‘राजसत्ता की देवी’ माना गया है। क्योंकि यहां देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री समेत कई राजनेता विशेष पूजा करने आते हैं। माना जाता है कि कष्ट में होने के कारण इनकी सत्ता बच जाती है या सत्ता मिल भी जाती है। राजसत्ता की कामना रखने वाले नेता यहां गुप्त पूजा करवाते हैं।

शत्रुनाशक है यह देवी
मां पीताम्बरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां की मूर्ति में भी माता को शत्रु की जिव्हा पकड़े दिखाया है। इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि भगवान परशुराम ने मां की उपासना की थी, इसके बाद उन्हें शत्रुओं पर विजय प्राप्त हुई थी।

चमत्कारिक है यह स्थान
1935 में इस सिद्धपीठ की स्थापना हुई थी, जिसकी स्थापना स्वामीजी ने की थी। स्वामीजी के ही जप-तप के प्रभाव के कारण यह एक सिद्ध पीठ है। भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी-सी खिड़की से कराए जाते हैं। मंदिर के परिसर में ही एक वनखंडेश्वर महादेव हैं, जो महाभारत काल के बताए जाते हैं।

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https://youtu.be/tfAdbNmr1kk
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