महाराष्ट्र व गुजरात के विभिन्न जिलों से मजदूरों का आना जारी है। सोमवार को जाम लगाने के बाद प्रदेश के गृहमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा था। मंगलवार की सुबह फिर यहां तमाम ट्रकों में सवार होकर सैकड़ों की संख्या में मजदूर जा पहुंचे। वे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने घरों पर जाना चाह रहे थे पर उप्र पुलिस ने उन्हें सीमा पर ही रोक दिया। तमाम प्रयास के बाद भी ड्यूटी पर तैनात पुलिस नहीं मानी तो मौके पर पहुंचे जिगना थाना प्रभारी और उप्र के अधिकारियों से बात की। उन्हें चेताया गया कि सोमवार को ही दोनों प्रदेशों के उच्चाधिकारियों से बात हो चुकी है फिर भी उन्हें क्यों रोका जा रहा है। तमाम मशक्कत के बाद उप्र पुलिस ने दोपहर में झांसी कलेक्टर से बात कर बसें बुलवाईं। बसों के माध्यम से उन्हें घर भेजा गया। इस दौरान सीमा पर करीब छह घंटे तक जाम के हालात बने रहे।
गांव वालों में दहशत
उप्र पुलिस द्वारा सीमा पर मजदूरों को रोके जाने से उन गांवों के लोगों में दहशत है। रोके जाने से मजदूर गांवों में पहुंच जाते हैं और लोगों के घरों के दरवाजों पर बैठ जाते हैं वे पानी व छांव की चाह में गांव में घुस जाते हैं। इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। हालांकि ग्रामीण खुद को जोखिम में डालकर उन्हें समय-समय पर भोजन एवं पानी उपलब्ध करा रहे हैं पर अंदर ही अंदर वे डरे हुए हैं। जौहरिया निवासी वनवास पंचायत के सहायक सचिव सूरज यादव, राहुल यादव का कहना है कि वे प्रवासी मजदूरों की मदद तो कर रहे हैं पर इसके लिए उन्हें काफी सावधानी बरतनी पड़ रही है।
उप्र की सीमा पर मंगलवार की सुबह मजदूर पहुंचे थे। उप्र पुलिस ने उन्हें प्रवेश से मना किया पर हालात का जायजा लेने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर झांसी प्रशासन ने बसें बुलाकर उन्हें गंतव्य तक भेजा।
रविन्द्र शर्मा, थाना प्रभारी, जिगना