उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे दतिया में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मनसे प्रमुख राज ठाकरे, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मां पीताम्बरा के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने आ चुके हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले इसी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की थी।
अब राहुल गांधी सत्ता की देवी के शरण में
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मां पीताम्बरा पीठ के दर्शन करने सोमवार को दतिया में है। वे भी विशेष पूजा अर्चना करने के लिए आए हैं और मां की पूजा के बाद प्रदेश में चुनाव प्रचार का शंखनाद करेंगे।
नेहरू से लेकर राष्ट्रपति भी आ चुके हैं यहां
देश की राजनीति में ये पहली बार नहीं है जब सियासत के महारथी मां पीताम्बरा के दरबार में आए हो। नेता हो या अभिनेता जब भी कोई संकट में आता है तो उसे मां पीताम्बरा सबसे पहले याद आती हैं। यहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई हस्तियां दतिया आ चुके हैं। सबकी मुराद भी पूरी हुई है।
सत्ता की देवी मानते हैं लोग
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीताम्बरा को ‘राजसत्ता की देवी’ माना गया है। क्योंकि यहां देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री समेत कई राजनेता विशेष पूजा करने आते हैं। माना जाता है कि कष्ट में होने के कारण इनकी सत्ता बच जाती है या सत्ता मिल भी जाती है। राजसत्ता की कामना रखने वाले नेता यहां गुप्त पूजा करवाते हैं।
शत्रुनाशक है यह देवी
मां पीताम्बरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां की मूर्ति में भी माता को शत्रु की जिव्हा पकड़े दिखाया है। इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि भगवान परशुराम ने मां की उपासना की थी, इसके बाद उन्हें शत्रुओं पर विजय प्राप्त हुई थी।
चमत्कारिक है यह स्थान
1935 में इस सिद्धपीठ की स्थापना हुई थी, जिसकी स्थापना स्वामीजी ने की थी। स्वामीजी के ही जप-तप के प्रभाव के कारण यह एक सिद्ध पीठ है। भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी-सी खिड़की से कराए जाते हैं। मंदिर के परिससर में ही एक वनखंडेश्वर महादेव हैं, जो महाभारत काल के बताए जाते हैं।
चीन युद्ध के दौरान नेहरू ने कराया था यज्ञ
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी यहां विशेष यज्ञ कराया था। उस समय चीनी फौज भारत की सीमा में आ गई थी और युद्ध छेड़ दिया था। इस संकट से निपटने के लिए पं. नेहरू ने 1962 में दतिया में 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था। 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज मौजूद है। यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का भी उल्लेख है।
करगिल युद्ध के दौरान अटलजी ने ली थी मां की शरण
-सन् 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी मां बगलामुखी ने देश की रक्षा की।
-साल 2000 में कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच पुन: युद्ध हुआ, किंतु हमारे देश के कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त रूप से पुन: साधनाएं एवं यज्ञ किए जिससे दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी।
-ऐसा कहते हैं कि यह यज्ञ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर कराया गया था।
संजय दत्त और शिवराज ने भी कराई पूजा
फिल्म स्टार संजय दत्त जेल जाने से पहले मां के दरबार आए और यहां गुप्त पूजा कराई थी। इसका असर ये हुआ कि उन्हें जेल जाने के 15 दिनों के बाद ही पैरोल मिल गई। इसके अलावा व्यापमं घोटाले में सीएम शिवराज और उनकी पत्नी का नाम आने लगा तो वे भी मां की शरण में चले गए। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री सपत्निक मां के भक्त हैं।