ठंडे बस्ते में चला गया
किसानों की फ सल का अगर अतिवृष्टि,अल्पवृष्टि या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के चलते होता है तो उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत हर्जाना( क्लेम) दिया जाता है। ताकि उनके नुकसान की भरपाई की जा सके। लेकिन इस बार जिले में खरीफ की उड़द की फसल के लिए बारिश ज्यादा होने से उड़द की फसल में नुकसान हुआ है। इससे जिले के हजारों किसानों को प्रीमियम राशि जमा कराने के बाद भी क्लेम की राशि नहीं दी जा सकी। हैरानी की बात यह है कि इसके लिए राजस्वअमले के कर्मचारियों सर्वे भी कर दिया था लेकिन फिर भी कंपनी ने उन्हें क्लेम नहीं दिया ।
किसानों की फ सल का अगर अतिवृष्टि,अल्पवृष्टि या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के चलते होता है तो उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत हर्जाना( क्लेम) दिया जाता है। ताकि उनके नुकसान की भरपाई की जा सके। लेकिन इस बार जिले में खरीफ की उड़द की फसल के लिए बारिश ज्यादा होने से उड़द की फसल में नुकसान हुआ है। इससे जिले के हजारों किसानों को प्रीमियम राशि जमा कराने के बाद भी क्लेम की राशि नहीं दी जा सकी। हैरानी की बात यह है कि इसके लिए राजस्वअमले के कर्मचारियों सर्वे भी कर दिया था लेकिन फिर भी कंपनी ने उन्हें क्लेम नहीं दिया ।
35 हजार हेक्टेयर में हुई थी बोवनी
जिले के 35 हजार हेक्टेयर में उड़द की बोवनी की गई थी। फसल पकने के बाद पिछले साल यानी सितंबर 2018 में राजस्व अमले के कर्मचारियों ने सर्वे भी किया था। इसमें बात सामने आई थी कि उड़द की फसल में 75 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रति हेक्टेयर दस क्विंटल का उत्पादन होना चाहिए लेकिन एक से दो क्विंटल तक भी पैदावार नहीं हो सकी। इसके बाद भी किसानों को बीमा योजना के तहत राशि नहीं दी जा सकी।
जिले के 35 हजार हेक्टेयर में उड़द की बोवनी की गई थी। फसल पकने के बाद पिछले साल यानी सितंबर 2018 में राजस्व अमले के कर्मचारियों ने सर्वे भी किया था। इसमें बात सामने आई थी कि उड़द की फसल में 75 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रति हेक्टेयर दस क्विंटल का उत्पादन होना चाहिए लेकिन एक से दो क्विंटल तक भी पैदावार नहीं हो सकी। इसके बाद भी किसानों को बीमा योजना के तहत राशि नहीं दी जा सकी।
प्रति हेक्टेयर मिलना था किसानों को क्लेम
जिले के हजारों किसानों ने अपने खेतों में उड़द , मूंग, तिल आदि की फसल बोयी थी। साथ ही एचडीएफसी एग्रो कंपनी ने उन फसलों का बीमा किया था। प्रीमियम के रूप में भी किसानों ने राशि जमा की थी । बावजूद इसके किसानों को अब तक बीमा क्लेम की राशि नहीं दी जा सकी। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 47 हजार 400 रुपए मिलना था लेकिन अब तक उनके खातों में राशि नहीं आ सकी।
जिले के हजारों किसानों ने अपने खेतों में उड़द , मूंग, तिल आदि की फसल बोयी थी। साथ ही एचडीएफसी एग्रो कंपनी ने उन फसलों का बीमा किया था। प्रीमियम के रूप में भी किसानों ने राशि जमा की थी । बावजूद इसके किसानों को अब तक बीमा क्लेम की राशि नहीं दी जा सकी। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 47 हजार 400 रुपए मिलना था लेकिन अब तक उनके खातों में राशि नहीं आ सकी।
चल रही है बात
यह सही है कि उड़द पैदा करने वाले किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दी जाने वाली राशि नहीं मिल सकी है लेकिन कंपनी से इस बारे में बातचीत चल रही है।
आरएन शर्मा, उप संचालक ,कृषि
यह सही है कि उड़द पैदा करने वाले किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दी जाने वाली राशि नहीं मिल सकी है लेकिन कंपनी से इस बारे में बातचीत चल रही है।
आरएन शर्मा, उप संचालक ,कृषि