वर्षों पहले जिले के मिडिल व प्राइमरी स्कूल के बच्चों को मध्यान्ह भोजन देने की योजना शुरू की गई थी। ताकि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें खाना भी मिलता रहे और उन्हें इंटरवल में खाना खाने घर न जाना पड़े। स्कूलों में आने वाले गरीब बच्चों को अच्छा व पौष्टिक भोजन मिल सके। इसके लिए जिले भर के 1200 मिडिल व प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को खाना पकाने की व्यवस्था स्कूलों में ही की गई है पर जिले में 132 स्कूल तो ऐसे हैं जिनमें खाना पकाने के लिए अलग से किचन शेड ही नहीं है।
1200 स्कूलों के बच्चों का बनता है खाना
जिले के मिडिल व प्राइमरी स्कूलों में पढऩे वाले हजारों बच्चों को हर रोज खाना तैयार किया जा रहा है। शासन ने इसके लिए किचन बनाने के लिए प्रावधान किया गया है और डेढ़ से तीन लाख रुपए तक की राशि इसके लिए स्वीकृत की जाती है पर जिले के 132 स्कूलों में किचन शेड न बनना न केवल स्कूली शिक्षा विभाग की कार्ययोजन पर सवालिया निशान लगा रहा है बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी इससे बाधित होती है। सूत्रों के मुताबिक फंड की कमी व सरपंचों को राशि देने के बाद भी किचन शेड न बनवाया जाना शेड न होने के बड़े कारण हैं।
जिले के मिडिल व प्राइमरी स्कूलों में पढऩे वाले हजारों बच्चों को हर रोज खाना तैयार किया जा रहा है। शासन ने इसके लिए किचन बनाने के लिए प्रावधान किया गया है और डेढ़ से तीन लाख रुपए तक की राशि इसके लिए स्वीकृत की जाती है पर जिले के 132 स्कूलों में किचन शेड न बनना न केवल स्कूली शिक्षा विभाग की कार्ययोजन पर सवालिया निशान लगा रहा है बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी इससे बाधित होती है। सूत्रों के मुताबिक फंड की कमी व सरपंचों को राशि देने के बाद भी किचन शेड न बनवाया जाना शेड न होने के बड़े कारण हैं।
कलेक्टर के निरीक्षण में सच आया सामने
तमाम ग्राम पंचायतों व पालकों व स्वसहायता समूहों की शिकायतें आई थीं कि जिले के बहुत से ऐसे स्कूल हैं जिनमें बच्चों को खाना पकाने की व्यवस्था नहीं है। इस आधार पर कलेक्टर ने जिला पंचायत व स्कूली शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी थी । निरीक्षण भी किया था। इसमें बात सामने आई थी कि इतने सारे स्कूलों में बच्चों को खाना पकाने के लिए अलग से जगह ही नहीं है। इसी आधार पर जिला पंचायत ने हाल ही में 70 स्कूलों के लिए किचनशेड बनाने के लिए राशि तो स्वीककृत कर दी पर अभी इनका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। पत्रिका ने भी मामले की असलियत जानने के लिए उदगवां, जिगना, सोनागिर, पठारी, जोन्हार, पाली-पमारी, कुरथरा, सनाई ,कमरारी समेत जिले के अन्य स्कूलों में अतिरिक्त कक्षों में खाना पकाया जा रहा है।
तमाम ग्राम पंचायतों व पालकों व स्वसहायता समूहों की शिकायतें आई थीं कि जिले के बहुत से ऐसे स्कूल हैं जिनमें बच्चों को खाना पकाने की व्यवस्था नहीं है। इस आधार पर कलेक्टर ने जिला पंचायत व स्कूली शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी थी । निरीक्षण भी किया था। इसमें बात सामने आई थी कि इतने सारे स्कूलों में बच्चों को खाना पकाने के लिए अलग से जगह ही नहीं है। इसी आधार पर जिला पंचायत ने हाल ही में 70 स्कूलों के लिए किचनशेड बनाने के लिए राशि तो स्वीककृत कर दी पर अभी इनका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। पत्रिका ने भी मामले की असलियत जानने के लिए उदगवां, जिगना, सोनागिर, पठारी, जोन्हार, पाली-पमारी, कुरथरा, सनाई ,कमरारी समेत जिले के अन्य स्कूलों में अतिरिक्त कक्षों में खाना पकाया जा रहा है।
70 स्कूलों के लिए नए सिरे से शेड स्वीकृत
जिले के कई स्कूलों में किचन शेड नहीं हैं। कई पंचायतों में तो राशि देने के बाद भी सरपंचों ने किचन नहीं बनवाए उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। लेकिन 70 स्कूलों के लिए नए सिरे से किचन शेड स्वीकृत किए गए हैं।
सीमा दंडोतिया, टास्क मैनेजर(एमडीएम) , जिला पंचायत
जिले के कई स्कूलों में किचन शेड नहीं हैं। कई पंचायतों में तो राशि देने के बाद भी सरपंचों ने किचन नहीं बनवाए उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। लेकिन 70 स्कूलों के लिए नए सिरे से किचन शेड स्वीकृत किए गए हैं।
सीमा दंडोतिया, टास्क मैनेजर(एमडीएम) , जिला पंचायत