दतिया

मासूम हो रहे हैं झोलछाप डॉक्टरों का शिकार

दो दिन पहले युवक की हो चुकी मौत के बाद प्रशासन निष्क्रिय
 

दतियाOct 07, 2019 / 05:44 pm

संजय तोमर

मासूम हो रहे हैं झोलछाप डॉक्टरों का शिकार

दतिया. जिले में झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रशासन की नजर में मामला होने के बाद भी झोलाछाप डॉक्टरों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। प्रशासन की इस अनदेखी से शनिवार को एक युवक की जान चली गई।
जिले में काफी संख्या में झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से क्लीनिक संचालित कर रहे हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तो झोलाछाप सक्रिय हैं ही जिला एवं तहसील मुख्यालयों पर भी झोलाछाप प्रैक्टिस कर रहे हैं। इन झोलाछाप डॉक्टरों की बजह से कभी भी अप्रिय स्थिति बन सकती है। जिले में झोलाछाप डॉक्टर बेडर होकर लोगों का उपचार कर रहे हैं।
पंजीयन किसी का, पैथी दूसरी
जिले में कई डॉॅक्टर पैथी बदल कर इलाज कर रहे हैं। डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग में अपनी क्लीनिक का पंजीयन तो होम्योपैथी और आयुर्वेदिक क्लीनिक के रूप में करा रखा है। लेकिन इलाज एलोपैथी से कर रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा पैथी बदल कर इलाज किए जाने से इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ता है।
सामने आ चुकी हैं गड़बडिय़ां

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने विगत अगस्त माह में दो दिन क्लीनिकों पर आकस्मिक छापामारी की थी। इस दौरान बिना पंजीयन के क्लीनिक संचालित होने के अलावा, एक क्लीनिक पर प्रतिबंधित दवाएं मिली थीं। इसके अलावा कुछ डॉक्टर पैथी बदल कर इलाज करते पाए गए थे और एक क्लीनिक बिना नाम के संचालित होना पाईगईथी। इन सभी क्लीनिकों को सील किया गया था। शहर में आधा दर्जन से क्लीनिकों पर यह गड़बडिय़ां मिलीथीं।
36 क्लीनिक रजिस्टर्ड हैं शहर में: स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार शहर में कुल 36 क्लीनिक रजिस्टर्ड है। इनमें सात होम्योपैथी क्लीनिक, 10 आयुर्वेदिक क्लीनिक एवं 18 एलोपैथी क्लीनिक हैं। इसके अलावा एक फिजियो थैरेपी क्लीनिक हैं। जबकि शहर में संचालित हो रहीं क्लीनिकों की संख्या 35 से ज्यादा हैं। 36 क्लीनिकों के अलावा शहर में 06 पैथोलॉजी रजिस्टर्ड हैं।
प्रशासन का खौफ नहीं

पैथी बदल कर इलाज करने वाले डॉक्टरों और झोलाछाप डॉक्टरों की इलाज की बजह से जिले में पिछले कुछ सालों में कई लोगों की जान जा चुकी है। कई बार तो घटनाओं के बाद ये लोग पुलिस के हत्थे भी नहीं आए। गोपनीय ढंग से काम करने वालों पर प्रशासन भीे रोक नहीं लगा पाया है। डॉक्टरों पर सख्त कार्यवाही न होने से झोलाछाप डॉक्टरों में प्रशासन का खौफ नहीं है।

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