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नहर फूटी सैकड़ों बीघा फसल डूबी

locationदतियाPublished: Feb 14, 2018 10:52:32 pm

Submitted by:

monu sahu

उनाव-कामद रोड पर फैल रहा है पानी, कई किलोमीटर तक खेत जलमग्न…

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उनाव/दतिया. उनाव-कामद रोड पर राजघाट नहर परियोजना की माइनर टूट जाने से सैकड़ों बीघा फसल डूब में आ गई। नहर टूटने से आसपास के गांवों सैकड़ों किसानों की फसल को नुकसान हुआ है। इस दौरान एक हजार से ज्यादा बीघा फसल में पानी भर गया। सिचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते किसानों को यह नुकसान हुआ है। पहले भी यह नहर फूट चुकी है और पलेवा के दौरान किसानों को फसल बोने में देरी हुई।

राजघाट नहर परियोजना से निकली माइनर उनाव और कामद के बीच अंजनी माता मंदिर के पास मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात करीब दो बजे फूट गई। पहले तो किसानों को पता ही नहीं चला, लेकिन सुबह होने पर जब नजर पड़ी तो चारों ओर पानी ही पानी था। देखते ही देखते यह पानी आसपास के करीब एक हजार बीघा में खड़ी फसल में पहुंच गया और फसल डूब में आ गई। इस पानी का असर यह होगा कि फसल देर से पकेगी और किसानों को फसल की सुरक्षा करने में भी दिक्कत आएगी। साथ ही उत्पादन बढऩे की आशंका भी कम हो गई है।

पांच सौ से ज्यादा किसान प्रभावित


उनाव के पास फूटी इस नहर से इस ग्राम पंचायत के तहत आने वाले गांव में तो फसलों को नुकसान हुआ ही है। पानी का तेज बहाव होने के कारण यह करीब दो किलोमीटर दूर तक पहुंच गया और नरगढ़ समेत अन्य गांव के मौजों में खड़ी गेहूं, चना व अन्य फसलों में भर गया। इससे एक हजार से ज्यादा बीघा में खड़ी फसलों में पानी भर गया। सूत्रों के मुताबिक अभी नहर का बहाव तेज चल रहा है और कई किसान बीच में पानी रोकने के लिए बाधा डाल देते हैं। इससे दबाव के कारण मिट्टी कट जाती है और नहर फूट जाती है। इसके लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को समय-समय पर निगरानी करनी चाहिए लेकिन उनकी उदासीनता के चलते इसका खामियाजा सैकड़ों किसानों को उठाना पड़ता है। जबकि इस बारे में जब क्षेत्रीय जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने इस मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए पल्ला झाड़ लिया। जबकि नहरों की निगरानी करना संस्था की भी जिम्मेदारी है।
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पहले भी फूटी नहर


करीब तीन महीने पहले फसलों की बुवाई से पहले खेतों में पलेवा चल रहा था तभी अंजनी माता मंदिर से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर यही माइनर फूट गई थी। उस वक्त भी सैकड़ों बीघा खेतों में पानी लबालब भर गया था। इसकी वजह से किसानों को बोवनी करने में देरी हुई थी, क्योंकि पानी भर जाने से खेतों में जोत नहीं आई और इंतजार में किसानों को एक महीना से ज्यादा बीत गया।

जनकारी नहीं


मुझे इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है कि नहर कहां और कब फूटी। इसके बारे में जल संसाधन विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं।


जितेंद्र राय, अध्यक्ष, जल उपभोक्ता संस्था परासरी
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