प्रदेश में गायों की स्थिति सुधारने आवारा पशुओं को सडक़ से गोशाला में लाने के लिए प्रदेश शासन ने बेहतर इंतजाम किया है। हर जिले में करोड़ों रुपए की लागत से गोशालाओं का निर्माण कराया है। जिले में भी 100 से ज्यादा गोशाला बनकर तैयार हैं। हर गोशाला में कम से कम 100 गाय रखने का दावा किया जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि गायें सडक़ पर भटक रहे हैं। स्टेट हाईवे हो हाईवे या फिर शहर के गले कूचे या फिर गांव की गलियां सब जगह आवारा गायों को भटकते हुए देखा जा सकता है। यही नहीं इस भटकाव के चलते पर हादसे में घायल भी हो रही हैं। हैरानी की बात है और न तो उस पशु चिकित्सा विभाग का ध्यान है न ही ग्रामीण विकास विभाग व नगरपालिका का।
समाजसेवियों के भरोसे गायें सडक़ों पर गायों के भटकने से कई बार हादसे का शिकार हो जाती हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल मूक बधिर विद्यालय में ही पिछले 1 साल में करीब दो सैकड़ा गायों को लाकर इलाज कराया गया। स्कूल संचालक सुख सिंह गौतम का कहना हैअभी भी कुछ गायो का इलाज चल रहा है।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र की हैं गाय सडक़ों पर जो गाय या अन्य पशुधन भटक रहा है वह शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र का भी है। बताया जा रहा है कि शहर और गांव की गोशाला में कई बार गाय रखने के बाद भी से छोड़ देते हैं ताकि खिलाना ना पड़े इसी का नतीजा है कि वह हादसों का शिकार होती हैं।
हाल ही में 70 गायों को गौशाला में भेजा था। गोशाला वाले लापरवाही करते हैं इसके चलते यह स्थिति बन रही है। अनिल कुमार दुबे, सीएमओ, नगर पालिका