scriptभीषण गर्मी के बीच देश के इस सरकारी अस्पताल में 6 घंटे तक गुल रही बिजली, खुले में जमीन पर लेटने को मजबूर हुईं प्रसूताएं | No electricity in the district hospital for 6 hours in scorching heat | Patrika News

भीषण गर्मी के बीच देश के इस सरकारी अस्पताल में 6 घंटे तक गुल रही बिजली, खुले में जमीन पर लेटने को मजबूर हुईं प्रसूताएं

locationदतियाPublished: May 24, 2022 05:53:06 pm

– अस्पताल में जनरेटर रखे होने के बावजूद लापरवाही के चलते डीजल की नहीं थी व्यवस्था- शनिवार से बिगड़ी व्यवस्था

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दतिया। Datia

शनिवार की रात आई आंधी से जनजीवन तो अस्त – व्यस्त हुआ ही जिला चिकित्सालय में भी व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। आंधी की बजह से अस्पताल में करीब छह घंटे बिजली गुल रही। बिजली गुल रहने और गर्मी के कारण मेटरनिटी विंग में प्रसूताओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।
शनिवार की रात आई आंधी की वजह से जिला चिकित्सालय में बिजली गुल हो गई। अस्पताल में करीब छह घंटे बिजली गुल रही। अस्पताल में बिजली गुल रहने अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं और नवजात शिशु गर्मी व उमस से व्याकुल हो गए।
गर्मी व उमस से परेशान होकर कई प्रसूताओं को खुले आसमान के जमीन पर गद्दा बिछा कर लेटना पड़ा। हालांकि पावर कट के दौरान अस्पताल में व्यवस्थाएं प्रभावित न हों और मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए जनरेटर है, लेकिन रात में जनरेटर भी डीजल न होने के चलते धोखा दे गया।
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जनरेटर में नहीं था डीजल
अस्पताल में लाईट की समस्या होने पर मरीजों की सुविधा के लिए जनरेटर लगा हुआ है। लेकिन रात में आंधी चलने के बाद जैसे ही लाईट गई अस्पताल में लगा जनरेटर मरीजों को राहत नहीं दे पाया। बताया जाता है कि जनरेटर में डीजल न होने की बजह से जनरेटर कुछ देर ही चला। जनरेटर न चलने से प्रसूताओं को खुले में जमीन पर लेटना पड़ा।

जिला अस्पताल की ऐसी स्थिति के चलते जहां क्षेत्र के लोगों में यहां की व्यवस्था को लेकर रोष है। वहीं कुछ मरीजों के परिजनों का तो यह तक कहना है कि सरकार जानबूझकर इस ओर ध्यान नहीं देती है। दूसरी ओर जानकारों का मानना है अस्पतालों की ये स्थिति देख कर लगता है कि सरकार अपने नंबर बढ़ाने के लिए इन्हें बना तो देती है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं देती है।

क्योंकि यदि अस्पताल में जनरेटर था तो वह क्यों नहीं चलाया गया इस पर जो सवाल पैदा होते हैं कि, या तो अस्पताल के कर्मी डीजल का पैसा कहीं और उपयोग में ले लेते हैं या फिर सरकार इनको इसका पैसा ही नहीं देती है। या यदि जनरेटर खराब था तो क्या सरकार उसे ठीक करवाने का पैसा भी देने से इनकार करती है, जो उसे गर्मियां आने से पहले जांच करके ठीक नहीं कराया जा सका। जानकारों का यह भी कहना है कि कारण कोई भी हो इस अव्यवस्था पर जबाव तो सरकार को ही देना होगा।

रात में बड़ा फाल्ट हो गया था। बिजली विभाग को फोन भी किया था। जनरेटर से पूरा चलता रहा। जनरेटर में 60 लीटर डीजल तो पहले से ही डला था। इसके बाद तुरंत और मंगा लिया था। डीजल तो पर्याप्त था। एसएनसीयू से रात को फोन आया था। मेटरनिटी विंग तरफ कोई परेशानी आई हो तो जानकारी नहीं है हो सकता है उस तरफ कनेक्शन न हो, लेकिन बच्चों को कोई परेशानी नहीं आने दी।
– डॉ के एम वरुण, आरएमओ
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