जिला चिकित्सालय में रीना घोष स्टाफ नर्स के रूप में पदस्थ हैं। नर्स ने मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन पर मानसिक रूप से प्रतडि़त करने का आरोप लगाते हुए 80 नींद की गोलियां खा लीं। जैसे ही मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को ये पता चला तो मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के हाथ पैर फूल गए। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने पीडि़ता को नए भवन की पहली मंजिल पर बने कोरोना वार्ड में भर्ती करवा दिया। ताकि मामला दबा रहे। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने दो दिन तक मामले को दबाने और लीपापोती करने का प्रयास भी किया लेकिन सोमवार को जैसे ही नर्स को होश आया तो मामला मीडिया तक पहुंच गया। पीडि़ता ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए मेडिकल कॉलेज के सह अधीक्षक अर्जुन सिंह सहित तीन लोगों पर परेशान करने के आरोप लगाए हैं। पीडि़त नर्स का कहना है कि मुझे न तो कोई डॉक्टर देखने आया और न ही अस्पताल में भर्ती का रिकॉर्ड है ताकि किसी को कुछ पता न चले सके।
मामले को दबाने में जुटा प्रबंधन सोमवार को स्टाफ नर्स द्वारा आत्महत्या के प्रयास का मामला सामने आने े बाद मनोरोग विशेषज्ञ डॉ कपिल देव आर्य ने पीडि़त नर्स की जांच की। डॉ आर्य का कहना है कि मरीज में डिप्रेशन के लक्षण मिले हैं। मरीज पहले भी आत्महत्या का प्रयास कर चुकी है और इलाज नहीं कराया तो आगे भी प्रयास कर सकती है। वहीं मेडीकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ अर्जुन सिंह का कहना है कि आज ही हमें रीना घोष के बारे में पता चला है। उसके आरोपों की जांच करवाई जाएगी। सह अधीक्षक डॉ हेमंत जैन ने बताया कि मरीज के परिजनों से बात कर ली गई और आश्वासन दिया गया है कि नर्सिंग स्टाफ रीना घोष की सुनवाई की जाएगी और उचित मदद उसके इलाज और उसकी ड्यूटी के संबंध में की जाएगी।
इन डॉक्टरों पर आरोप आत्महत्या का प्रयास करने वाली स्टाफ नर्स रीना घोष ने नर्सिंग सुपरिटेंडेंट डॉ विजी अवस्थी, मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ अर्जुन सिंह एवं फीवर क्लीनिक के इंचार्ज डॉ सुभांशु गुप्ता पर मानसिक प्रताडि़त करने के आरोप लगाए है।
छह माह से चल रहा विवाद स्टाफ नर्स रीना घोष फीवर क्लीनिक में पिछले 6 माह से कार्य कर रही थी। संक्रमण खत्म होने के बाद मरीज आना बंद हो गए तो आवश्यकता नही होने पर उसे मैटरनिटी वार्ड में पदस्थ कर दिया गया। ड्यूटी बदलने से उसका सीनियरों से विवाद बढ़ा। उसे 6 महीने से परेशान किया जा रहा है।
भर्ती पर्चा नहीं बनाया नर्स रीना घोष का यह भी आरोप है कि उसे कोविड वार्ड में भर्ती किया गया है। इसके अलावा उसका भर्ती का पर्चा भी बनाया गया है। नर्स ने कहा कि वह देखना चाहती है कि आखिर उसका क्या इलाज किया जा रहा है और उसे कौन सी दवाइयां दी जा रही हैं। लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वह मानसिक रूप से काफी परेशान है।