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सुबह करीब 9.30 बजे दतिया मेडिकल कॉलेज द्वारा जिला अस्पताल के परिसर में बनवाई गई नवीन बिल्डिंग में जांच कराने के लिए दतिया एनआरसी सेंटर के कुछ औकतें अपने बच्चों को लेकर पहुंची थी। उन्हें डॉक्टर से मिलने के लिए तीसरी मंजिल पर जाना था। चूंकि यह बिल्डिंग हाल ही में बनकर तैयार हुई है इसलिए इसमें लिफ्ट की सुविधा दी गई है। तीन महिलाएं और 4 बच्चे जिसमें तीन लडक़े व एक लडक़ी लिफ्ट में चढ़ें और तीसरी मंजिल के लिए उपर की ओर जान लगे। तभी अचानक से अस्पताल परिसर में बिजली गुल हो गई। लिफ्ट बीच में ही लटक गई।
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लिफ्ट में जाने वाले लोग ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं तो उन्हें लिफ्ट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, जिसके चलते वे लिफ्ट के रुकते ही चिल्लाने लगे। भयभीत होकर बच्चे रोने लगे। महिलाएं घबराहत के चलते जोर-जोर से रोने लगी। डॉक्टरों व अन्य ने लिफ्ट की आवाज सुनी तो दौडकऱ वहां पहुंचे। उन्हें शांत रहने को कहा। फिर लिफ्ट ऑपरेटर को ढूंढा। जिसमें 30 मिनट बर्बाद हो गए। लिफ्ट ऑपरेटर ने आकर तीसरी मंजिल का गेट खोलकर लिफ्ट का इमरजेंसी द्वार खोला और एक-एक चारों बच्चों व महिलाओं को बाहर निकाला। इस दौरान अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ देखने को मिली। जब उनसे घटना के संबंध में बात की वे जिम्मेदारी लेने से हटते रहे। ड़ॉक्टरों का कहना है कि यह नवीन बिल्डिंग दतिया मेडिकल कॉलेज द्वारा बनवाई गई है। यहां पर ओपीडी ऑपरेट होती है। हमारा इसमें कोई हाथ नहीं है।
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नहीं था लिफ्ट ऑपरेटर
घटना के वक्त लिफ्ट में उसका ऑपरेटर नहीं था। लाइट जाने पर लिफ्ट रूक गई और उसमें मौजूद लोग घबरा गए।
बैकअप नहीं
अस्पताल प्रशासन के पास लाइट जाने पर बैकअप की व्यवस्था नहीं है। यदि बैकअप होता तो लिफ्ट बंद नहीं होती। जिला अस्पताल में बने मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग के कारण मेंटिनेस को लेकर समस्या है।
लिफ्ट में ये लोग फंसे थे
लिफ्ट में झांसी निवासी शाहिन खां (22) पत्नी इरफान खां उसकी भांजी मुस्कान (14), सरोज (26) पत्नी जीतेंद्र प्रजापति उसका बेटा हर्ष (3) निवासी होमगार्ड कॉलोनी दतिया, सावित्री रावत पत्नी दामोदर रावत उसका बेटा निवासी पचोखरा व अन्य लोग थे। बच्चों की उम्र 2 से 4 साल की बीच थी।