करीब साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के लिए कवायद शुरु की गई थी। इसके लिए पांच साल का वक्त दिया गया था। अब तक चार साल गुजर चुके है। लेकिन जिला लक्ष्य से काफी दूर है। एक हजार से ज्यादा शौचालय अभी भी नहीं बन सके है। जबकि इनके घरों में वाहन है घर का मकान है। खेती-किसानी है। बावजूद इसके ये शौचालय नहीं बनवा रहे है। कई बार अधिकारियों ने इनके घरों का निरीक्षण किया और पाया कि इनकी वार्षिक आमदनी पर्याप्त है और ये गरीबी रेखा में नहीं आते फिर भी ये शौचालय नहीं बनवा रहे और खुले में शौच जाकर गंदगी को बढ़ावा दे रहे हैं।
दतिया ब्लॉक की हालत सबसे ज्यादा खराब जिले के तीनों ब्लॉक में दतिया ब्लॉक की हालात सबसे ज्यादा खराब है। करीब एक महीने पहले की बात करे तो करीब छह सौ लोगों ने शौचालय नहीं बनवाए थे। भाण्डेर में यह संख्या करीब दो सैंकड़ा थी। वहीं सेंवढ़ा में ७५० लोगों ने शौचालय नहीं बनवाए थे। इतना ही नहीं कई लोग तो ऐसे भी है जो सक्षम होने के बाद भी घरों में शौचालय नहीं बनवा रहे है।
तीन महीने का दिया था वक्त करीब डेढ़ महीने पहले ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने सक्षम लोगों को राहत देते हुए उन्हें वक्त दिया था कि जो लोग शौचालय नहीं बनवा सके हैं। वो जल्द से जल्द अपने घरों में शौचालय बनवाए। बरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ताकि स्वच्छता मिशन में मदद हो सके। लेकिन बार-बार कहने के बाद भी सक्षम लोग नहीं मान रहे। न तो वह गांव के सरपंच, सचिवों की सुन रहे है और न ही निरीक्षण के लिए जा रहे अधिकारियों के दिशा निर्देश उन पर असर कर रहे हंै। तंग आकर अधिकारियों ने करीब एक सैंकड़ा लोगों की सूची बनाकर संबंधित थानो में भेज दी है। अब पुलिस की मदद से ही शौचालय निर्माण कराए जाने की नौबत आ गई है।
भेज दी है जानकारी जिले के तमाम लोग सक्षम होने के बाद भी शौचालय नहीं बनवा रहे है। पहले भी उन्हें कई बार हिदायत दी जा चुकी है। पैसे होने के बाद भी वे स्वच्छता अभियान में मदद नही कर रहे है। इस तरह के कई लोगों की जानकारी संबंधित पुलिस थानों में भेज दी है अब उन पर कार्रवाई की जाएगी।
संदीप माकिन, सीईओ जिला पंचायत