जिले में गत वर्ष (अकादमिक सत्र 2018-19) हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम 54.47 प्रतिशत रहा था, जो कि अकादमिक सत्र 2017-18 के मुकाबले 11 प्रतिशत कम था। हाईस्कूल के परीक्षा परिणाम में गिरावट आने के साथ जिले से किसी भी छात्र-छात्रा ने प्रदेश की मैरिट सूची में स्थान प्राप्त नहीं किया था। अकादमिक सत्र 2018-19 की हाईस्कूल परीक्षा में राज्य का औसत परीक्षा परिणाम 62.05 प्रतिशत रहा था। हाईस्कूल के परीक्षा परिणाम में आई गिरावट को लोक शिक्षण संचालनालय ने गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। प्राचार्यों का जवाब मिलने और जिला शिक्षा अधिकारी के अभिमत के बाद आयुक्त ने प्राचार्यों की वेतनवृद्धि रोकने के आदेश जारी किए हैं।
एक प्राचार्य के जवाब को माना संतोषजनक
हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम कम आने पर लोक शिक्षण संचालनालय ने कुल आठ प्राचार्यों को जुलाई में कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया था, जिनमें अरुणकांत शर्मा शासकीय हाईस्कूल कुलैथ के जवाब को संतोषजनक पाते हुए कोई कार्यवाही न कर प्रकरण को समाप्त किया है, जबकि रविंद्र सिंह सेंगर प्राचार्य शासकीय हाईस्कूल चिरूला की तीन वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने के आदेश जारी किए हैं।
40 प्रतिशत कम वालों पर कार्रवाई
लोक शिक्षण आयुक्त ने जिन प्राचार्यों की वेतनवृद्धि रोकने के आदेश जारी किए हैं, उनके स्कूलों का परीक्षा परिणाम 40 प्रतिशत से भी कम रहा था।
इन पर हुई कार्यवाही परीक्षा परिणाम का प्रतिशत
1 – श्रीपत त्रिवेदी व्याख्याता शासकीय हाईस्कूल मुरेरा 28 प्रतिशत
2 – रविंद्र सिंह सेंगर प्राचार्यशासकीय हाईस्कूल चिरूला 29.9 प्रतिशत
3 – जगदीश लोधी शासकीय हाईस्कूल सतलोन 18.33 प्रतिशत
4 – वंदना शर्मा प्राचार्यशासकीय हाईस्कूल कामद 35.71 प्रतिशत
5 – बी के पटवा शासकीय हायरसैकेंड्री स्कूल दुर्गापुर 32.39 प्रतिशत
6 – रामेश्वर राम निकुंज शासकीय हाईस्कूल पनवाड़ी हाट 36.84 प्रतिशत
7 – अनिल कुमार मौर्य शासकीय हाईस्कूल लरायटा 25.93 प्रतिशत