scriptशरणागतों की रक्षा करती हैं शक्तिस्वरूपा मां बगलामुखी | Shankaracharya Jayanti in Pitambara Peeth temple area | Patrika News

शरणागतों की रक्षा करती हैं शक्तिस्वरूपा मां बगलामुखी

locationदतियाPublished: May 06, 2022 03:58:36 pm

– पीताबंरा पीठ परिसर में मनी शंकराचार्य जयंती

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दतिया। श्री पितांबरा पीठ परिसर में पिछले तीन दिनों से आयोजन का क्रम जारी है। मां पीतांबरा देवी के प्राकट्य दिवस और शंकराचार्य जयंती के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. दामोदर दीक्षित ने कहा कि भगवती बगलामुखी शक्ति स्वरूपा हैं। शरणागत की रक्षा करती हैं।

उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के द्वारा भगवती की महिमा का वर्णन किया। अध्यक्षता करते हुए पं.जयशंकर शास्त्री ने कहा कि साधक को स्वाद, जीवा, प्रेम, शक्ति व साधना को अपने मन में उतारने के लिए मनन करना चाहिए। इस दौरान संस्कृत गोष्ठी हुई।

इस दौरान छात्र संजीव बिरथरे ने भगवती का ध्यान श्लोक पढ़ कर संबोधन शुरू किया। बगला शब्द की व्युत्पत्ति पर प्रकाश डाला। प्राध्यापक पं.अरुण मिश्र ने भगवती के प्राकृतिक विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। वहीं प्राध्यापक पं. बृजेश शुक्ला ने कहा कि भगवती सर्वत्र विद्यमान है जिसकी जैसी कामना होती है। भगवती उसे पूर्ण करती है। यह बुद्धि रूप से स्थित है।

इससे पहले जहां 3 मई को यहा भगवान परशुराम जयंती, तो वहीं 4 मई को मां पीतांबरा प्राकट्य दिवस और गुरुवार को शंकराचार्य जयंती मनाई गई। इस अवसर पर आए हुए वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

3 मई को भगवान परशुराम जयंती के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉ.दामोदर दीक्षित रहे । उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि तीन राम शब्दों में परशु धारण कर भगवान परशुराम ने अस्त्र और शस्त्र के माध्यम से लोक कल्याण के कार्य किए। इस अवसर पर हिंदी संगोष्ठी हुई। अध्यक्षता पं.जयशंकर शास्त्री ने की। इस दौरान डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा, प्रवीण दुबे, डॉ रामेश्वर गुप्ता, डॉ चंद्रमोहन दीक्षित पं.जय शंकर शास्त्री आदि विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए।

वही 4 मई को मां पीतांबरा देवी का प्राकट्य दिवस मनाया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि डॉ. दामोदर दीक्षित ने कहा कि भगवती बगलामुखी शक्ति स्वरूपा हैं। शरणागत की रक्षा करती हैं। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के द्वारा भगवती की महिमा का वर्णन किया। अध्यक्षता करते हुए पं.जयशंकर शास्त्री ने कहा कि साधक को स्वाद, जीवा, प्रेम, शक्ति व साधना को अपने मन में उतारने के लिए मनन करना चाहिए। इस दौरान संस्कृत गोष्ठी हुई।

छात्रों ने किया स्वस्तीवाचन
तीसरे दिन यानी बुधवार को शंकराचार्य जयंती मनाई गई। ऋषिकेश से आए पं.दामोदर शास्त्री, पं.जयशंकर शास्त्री ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान संस्कृत विद्यालय के छात्रों ने स्वस्तिवाचन किया । इस अवसर पर पं.श्रीराम पंडा आचार्य विष्णुकांत मुड़िया, पं. चंद्रमोहन दीक्षित, पीतांबरा पीठ के न्यासी हरिराम सांवला, पं.श्याम प्रकाश पटेरिया , बड़े पुजारी , संस्कृत विद्यापीठ के छात्र व पीठ के सेवक व साधक मौजूद रहे। तीनों दिन कार्यक्रम का संचालन पीतांबरा पीठ संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य डॉ लवलेश मिश्र ने किया।

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