आपको बता दें कि, मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ के दतिया पहुंचने से पहले ही दतिया प्रशासन की ओर से सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंध कर ली गई थीं। सीएम योगी के दतिया पहुंचने पर सरकार और संगठन के तमाम लोग मौजूद रहे। योगी आदित्यनाथ के अचानक इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने के पीछे चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। मान्यता है कि, मां पीताम्बरा सत्ता बचाती भी है और तमाम हस्तियों को सत्ता तक पहुंचाती भी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि, सत्ता में दोबारा से वापसी करने के बाद योगी मां का आर्शीवाद लेने यहां पहुंचे हैं।
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पिछले वर्ष भी पूजा करने दतिया गए थे सीएम
आपको बता दें कि, ये पहली बार नहीं जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दतिया आए हों, इससे पहले पिछले वर्ष भी वो दतिया स्थित मां पीताम्बरा के दर्शन करने आए थे। उस दौरान सीएम योगी ने पीताम्बरा पीठ में माता बगलामुखी के दर्शन किए थे। मंदिर को लेकर मान्यता है कि, मां के आर्शीवाद से सत्ता का रास्ता आसान हो जाता है। मंदिर में कई राजनेताओं यहां तक ब्यूरोक्रेट्स भी इसी मान्यता के चलते यहां आते रहते हैं।
ये राजनीतिक हस्तियां कर चुकी हैं माता के दर्शन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले व्यक्ति नहीं हैं, जो सत्ता की देवी की आराधना करने आए हैं। यहां मां के दर्शन करने आने का दौरा पं. जवाहरलाल नेहरू के समय से चला आ रहा है। उनके बाद इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई हस्तियां पूजा-अर्चना करने यहां आती थीं।
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शत्रुओं का सफाया करती है धूमावती
दतिया के पीताम्बरा पीठ परिसर में ही धूमावती मंदिर है। मान्यता है कि मां धूमावती की साधना करने वाले को दुश्मन नष्ट हो जाते हैं। लड़ाई-झगड़े, कोर्ट कचहरी में विजय के लिए मां धूमावती की साधना की जाती है। मान्यता है कि, बगलामुखी के साथ ही धूमावती की साधना से शत्रुओं का नाश होता है, इसलिए दतिया के पीताम्बरा पीठ में मां बगलामुखी के साथ ही मां धूमावती की भी स्थापना की गई है, जो दुनिया में अपने आप में अकेला स्थान है।
इस जिले में है बगलामुखी शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के शाजापुर के नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी शक्तिपीठ में भी लोगों की गहरी आस्था है। यहां हर साल नवरात्र में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। तंत्र साधना करने वाले यहां धुनी जमाए रहते हैं। माना जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना युधिष्ठिर द्वारा की गई थी। उसके बाद सभी पांडवों ने यहां तंत्र अनुष्ठान किया था। इसके बाद ही उन्हें महाभारत के युद्ध में विजय मिली थी। मां दुर्गा का एक रूप महाकाली भी है, जिसे संहार करने वाली देवी के रूप में माना जाता है। मान्यता है कि, देवी काली को संकटनाश, सुरक्षा, विघ्ननिवारण, शत्रु संहारक के साथ ही सुरक्षा करने वाली देवी भी माना जाता है। महाकाली की आराधना करने वाले साधकों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।