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आधा दर्जन गांव के रास्ते कच्चे, पैदल चलना भी हुआ मुश्किल

locationदतियाPublished: Apr 28, 2021 11:53:31 pm

सरकार के दावे हो रहे खोखले, सड़क का नही हो सका निर्माणपत्रिकाअभियान- क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत पर सुस्ती क्यों

आधा दर्जन गांव के रास्ते कच्चे, पैदल चलना भी हुआ मुश्किल

सड़वारा से पेंता के लिए जाने वाला बदहाल रोड।

उनाव. सरकार भले ही दावा करती रहे कि ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों को जाल बिछा दिया गया है, लेकिन धरातल पर स्थिति यह है कि अभी ऐसे कई गांव है जहां से वाहनों से निकलना तो दूर पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है। कई गांव अभी भी पगडंडी की तरह है। ग्रामीण सड़क की समस्या से जूझ रहे है। मूलभूत सड़क की समस्या के निराकरण की ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे है और न ही जिम्मेदार अधिकारीगण ध्यान दे रहे है। इससे ग्रामीणों में भी आक्रोश बना हुआ है।

कामद-इंदरगढ़ रोड से सड़वारा से पठरा तक का रास्ता बेहद खराब है। वाहनों की बात तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ से सराबोर हो जाता है कि पैदल निकलने में भी काफी परेशानी होती है। यदि कोई बीमार पड़ जाए तो यहां तक वाहन में नही पहुंच पाते है। गेहूं पिसाई के लिए एवं दूध वालों के लिए आने जाने में बड़ी परेशाी होती है। रास्ता बदहाल होने के कारण लोगों को आवागमन में काफी समस्या आती है। सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीणजन कई बार जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करा चुके है। लेकिन समस्या के निराकरण की ओर कोई ध्यान नही दे रहा है। स्थिति यह है कि ग्रामीण मूलभूत सुविधा सड़क की समस्या से जूझ रहे है और यह समस्या विकराल बनी हुई है। समस्या की ओर ध्यान न दिए जाने को लेकर ग्रामीणों में भी आक्रोश बना हुआ है और यह आक्रोश कभी भी सड़कों पर आंदोलन का रूप ले सकता है।

चार हजार की आबादी बाले है गांव


ग्राम आसेर डेरा, दवरीभाट, पठरा की पंचायतें इमलिया, आसेर एवं पठरा लगती है। प्रत्येक पंचायत की आबादी करीब 4 हजार के लगभग है। जहां सुविधा के नाम पर कुछ नही है। इन गांवो में सबसे बड़ी समस्या सड़क की बनी हुई है। सड़क मार्ग दुरूस्त न होने के कारण लोगों को मुख्य मार्ग तक आने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ती है। दिन के समय तो जैसे तैसे लोग रास्ता पार कर लेते है लेकिन रात के समय तो निकलना बंद ही हो जाता है।

बदहाल है चार किमी का रास्ता

सड़वारा से दरियापुर तक का चार किमी तक का रास्ता उबड़-खाबड़ बना हुआ है। पंचायत रास्ते को दुरूस्त करने की ओर ध्यान नही दे रही है। स्थिति यह है कि ग्राम पंचायत सड़वारा ने एक किमी का रास्ता बनवाया है तो दूसरी पंचायत दरियापुर ने रास्ते का निर्माण कराने की ओर कोई रूचि ही नही दिखाई है। इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है और उन्हें कच्चे रास्ते से निकलना पड़ रहा है। वहीं सड़वारा से पैंता के लिए जाने वाले रास्ते की दूरी दो किमी है। यदि जरा सी बरसात हो जाए तो रास्ता बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति में कामद-इंदरगढ़ रोड से दतिया- भाण्डेर रोड के ब ीकर गांव से 12 किलोमीटर का चक्कर लगाकर पैंता के लिए पहुंचना पड़ता है और यदि पेंता से सड़वारा का दो किमी वाला रास्ता पर डामरीकरण हो जाए तो 12 किमी का चक्कर बच जाएगा।

बरसात के मौसम में होती है ज्यादा समस्याहमारे गांव में चारो तरफ रास्ते कच्चे है। मैं चार वर्ष से दूध का धंधा कर रहा हूं। बरसात के समय दूध की जेरीकेन को सिर पर रखकर लेकर जाना पड़ता है। रास्ता पार करने में दो से तीन घण्टे लगते है।
ओमकार पाल, ग्रामीण, दवरीभाट

दो किमी के रास्ते के लिए जाना पड़ता है 12 किमी
हमारे गांव से सड़वारा के लिए दो किमी का रास्ता कच्चा है। यदि इस रास्ते पर डामरीकरण हो जाता है तो हम लोगों को जो 12 किमी का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है वह बच जाएगा। यदि कोई गांव में बीमार पड़ जाए तो समय पर भी बच जाएगा।
हुकुम सिंह यादव, ग्रामीण, पेंता

सड़क निर्माण को लेकर दिलाई जाएगी मंजूरी
मैंने भाण्डेर क्षेत्र में छोटे-छोटे गांव के रास्तों को सड़कों में जोड़ा है। सरपंचो को एक्टिव होना चाहिए और जिन ग्राम पंचायतों के रास्ते खराब है तो उन पंचायतों के द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया जाए। मैं विधानसभा से मंजूरी कराकर जो भी कच्चे रास्ते है उनका निर्माण कराया जाएगा।

रक्षा संतराम सिरोनिया, विधायक, भाण्डेर

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