पूर्व में कपड़े का कारोबार करने वाले राकेश साहिबानी(62) पिछले कई साल सेे बीमारी से पीडि़त थे। जांच कराई तो पाया कि उनकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं। उन्हें सुरक्षित रखने के लिए भाई भरत साहिबानी व अन्य परिजन झांसी में आए दिन डायलिसिस कराते हैं। लेकिन डॉक्टरों ने सलाह दी कि ऐसा कब तक चलेगा। कोई किडनी का डोनर मिल जाए तो राकेश सेहतमंद हो सकते हैं।
डॉक्टरों की इस सलाह ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर किडनी देगा कौन? लेकिन राकेश की पत्नी सरिता (58) ने ठाना कि वे ही पति को एक किडनी दान करेंगी। किडनी दान करने के प्रण के बाद भी परिवार की मुश्किलें कम नहीं हुईं। आर्थिक स्थिति भी ज्यादा अच्छी न होने के कारण बिना किसी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की अनुमति के शासकीय मदद नहीं मिल पाती । लिहाजा राकेश के भाई भरत ने दतिया मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया। कुछ ही दिन के प्रयास ने कॉलेज के डीन डॉ. दिनेश उदैनियां ने न केवल इसके लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया बल्कि बोर्ड की पहली बैठक में ही सरिता की किडनी ट्रांसप्लांट का रास्ता भी साफ हो गया।
मिल सकेगी आर्थिक मदद नियम है कि मप्र के किसी मेडिकल कॉलेज से आर्गेन ट्रांसप्लांट की अनुमति मिल जाए तो पीडि़त परिवार को सीएम केयर फंड से आर्थिक मदद मिल सकती है। भरत का कहना है कि उन्होंने इंदौर के एक अस्पताल से किडनी ट्रांसप्लांट का एस्टीमेट बनवाया है जो कि करीब साढ़े छह लाख है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ उदैनियां ने संवेदनशीलता दिखाते हुए बोर्ड बनाकर किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति दिला दी है। अब भाई के स्वस्थ होने की संभावना सौ फीसदी बढ़ गई है।
तैयार किया बोर्ड मेडिकल कॉलेज ने हाल ही में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। इसमें पांच डॉक्टरों को शामिल किया है। यही नहीं दो समाजसेवियों बल्देवराज बल्लू व डॉ राजू त्यागी को भी शामिल किया है। मंगलवार को बोर्ड की बैठक में राकेश साहिबानी के मामले को रखा गया और सर्व सम्मति से उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति मिल गई।
राकेश साहिबानी के परिजन लंबे समय से किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति के लिए परेशान थे। उन्हें बोर्ड बैठाकर अनुमति दे दी है अब उनका किडनी ट्रांसप्लांट हो सकेगी। डॉ दिनेश उदैनियां, डीन , दतिया मेडिकल कॉलेज