सैनी संघ विचारधारा के होनेे के साथ ही 1990 में भाजपा से चुनाव जीते। वर्ष 1993 एवं 1998 में भी भाजपा से चुनाव लड़े। इसके बाद वर्ष 2008 में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर जीते और कांग्रेस को समर्थन देकर मंत्रीमण्डल में शामिल हुए। वर्ष 2013 में कांंग्रेस सेे चुनाव लड़े, लेकिन पराजित हुए। अब कांग्रेेस की ओर से प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के दूसरे ही दिन सैनी ने भाजपा का दामन थाम लिया। चर्चा है कि सैनी कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से खफा होकर भाजपा में शामिल हुए हैं।
सैनी का कहना है कि कांग्रेस में उचित सम्मान नहीं मिलने व कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने के कारण पुराने घर भाजपा में वापसी की है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष अशोक काठ ने बताया कि पूर्व मंत्री रामकिशोर सैनी के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बंशीवाल 1998 में निर्दलीय तथा 2003 में भाजपा के टिकट पर दौसा से जीते थे। 2013 में भाजपा ने सिकराय से उतारा, लेकिन वे हार गए थे। इस बार सिकराय से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनके भतीजे विक्रम बंशीवाल को टिकट दे दिया। ऐसे में नंदलाल ने दौसा से ताल ठोकते हुए 19 नवम्बर को निर्दलीय नामांकन दाखिल करने की घोषणा की है। नंदलाल ने बताया कि भाजपा में टिकट वितरण में मनमानी की है। दौसा में दोनों दल बाहरी प्रत्याशी उतार रही है। ऐसे में स्थानीय लोगों की मांग पर चुनाव लड़ेंगे।