जिला मुख्यालय पर आबादी क्षेत्र में अवैध रूप से व्यावसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण कराकर मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार आबादी क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती, इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के बयान के बाद अपनी निगाहें फेर ली हैं।
शहर में बिना अनुमति के निर्माण कार्य चल रहे हंै। इसके चलते नगर परिषद को लाखों रुपए की राजस्व आय से भी हाथ धोना पड़ रहा है, वहीं शहरवासियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
शहर के आगरा रोड, जयपुर रोड, लालसोट रोड, मंडी रोड, सैंथल मोड़ क्षेत्र सहित मुख्य कॉलोनियों में बिना अनुमति के अवैध व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं। 20-30 फीट के रास्ते वाले मार्गों में ही बहुमंजिला इमारतें बन गईहै। खास बात यह है कि आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित होने से शहरवासियों की निजता भी खत्म होती जा रही है। इससे सबसे जयादा परेशानी महिलाओं एवं बच्चों को उठानी पड़ती है, लेकिन लोगों की सुविधाओं की ओर किसी का कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है।
सड़कों पर पड़ी है सामग्री
व्यापारिक प्रतिष्ठानों व निजी इमारतों का निर्माण कराने वालों ने आमजन का आवागमन भी दूभर कर दिया है। ये भवन मालिक निर्माण सामग्री बजरी, गिट्टी, सरिये सहित अन्य सामान बीच सड़क पर डाल देते हैं। इससे आवागमन तो बाधित होता ही है, वहीं अनजान व्यक्ति रात के अंधेरे में दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
ध्यान नहीं देते प्रभारी
सूत्रों के अनुसार व्यावसायिक कॉम्पलेक्स सहित अन्य दुकानों का निर्माण कराने के दौरान आमजन की सुरक्षा, पार्किंग स्वच्छता, शौचालय, नाली निर्माण सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण परिषद की निर्माण समिति के देखरेख में किया जाता है। इसके अलावा बीट प्रभारियों की भी जिम्मेदारी होती है। इसके बावजूद प्रभावशाली लोग दुकानों व प्रतिष्ठानों का मनमर्जी से निर्माण करा रहे हैं। लोग इसकी शिकायत भी करते हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
तलघर बनाए, नालों को भी नहीं छोड़ा
नगर परिषद के आसपास ही कई लोगों ने अवैध रूप से तलघरों का निर्माण करा लिया है। यहां तक की शहर में कई जगह नालों को पाटकर भी निर्माण किया जा रहा है। नगर परिषद के अधिकारी अनजान बनकर बैठे हैं। व्यावसायिक कॉम्पलेक्स के निर्माण के दौरान बरसात के पानी निकासी के लिए सुनियोजित ढंग से नाले का निर्माण समिति के देखरेख में किया जाना आवश्यक है, लेकिन भवन मालिकों ने अपनी मर्जी से नालों का निर्माण कराया है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नहीं बनाया है। इसके अलावा वाहन गैराज, प्रकाश, स्वच्छता को भी नजरअंदाज किया गया है।
इनका कहना है…
निर्माण कार्यों पर निगरानी के लिए शहर को चार भागों में बांटकर बीट बना रखी है। बीट प्रभारी की रिपोर्ट पर निर्माण कार्यों की जांच कर कार्रवाईकी जाती है। अगर कहीं नियम विरुद्ध निर्माण चल रहे हैं तो जांच कर निश्चित रूप से कार्रवाईकी जाएगी।
दिलीप शर्मा, नगर परिषद आयुक्त दौसा
निर्माण कार्यों पर निगरानी के लिए शहर को चार भागों में बांटकर बीट बना रखी है। बीट प्रभारी की रिपोर्ट पर निर्माण कार्यों की जांच कर कार्रवाईकी जाती है। अगर कहीं नियम विरुद्ध निर्माण चल रहे हैं तो जांच कर निश्चित रूप से कार्रवाईकी जाएगी।
दिलीप शर्मा, नगर परिषद आयुक्त दौसा