मौसम बदलने के साथ ही मोरेल बांध से प्रवासी पक्षियों की घर वापसी शुरू
200 प्रजातियों के 20 हजार से अधिक पक्षियों ने किया प्रवास
लालसोट के मोरेल बांध पर मौजूद प्रवासी पक्षी।
लालसोट (दौसा). मोरेल बांध पर शीतकालीन प्रवास पर विश्व के विभिन्न भागों से आने वाले प्रवासी पक्षियों की घर वापसी शुरू हो गई। जिले के सबसे बड़े एवं एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध पर प्रतिवर्ष सर्दिर्यो के दौरान भोजन, प्रजनन और अनुकूल वातावरण में आवास पाने के लिए विभिन्न किस्मों के पक्षी यहां प्रवास पर आते है। इस वर्ष भी लगभग 200 प्रजातियों के जलीय व स्थलीय बीस हजार से अधिक प्रवासी पक्षी यहां आए।पक्षी विशेषज्ञ प्रोफेसर सुभाष पहाडिय़ा ने बताया कि पक्षियों का प्रवास सितंबर के मध्य सप्ताह से मार्च के प्रथम सप्ताह तक होता है। अभी मोरेल बांध में 8 फिट पानी रिजर्व है। अधिकांश प्रजातियों के पक्षी अपने प्रजनन स्थलों के तरफ लौट गए है, लेकिन अभी भी बांध की तलहटी में बार हेडेड गीज का एक झुंड जिसमे लगभग 100 से ऊपर संख्या में दिखाई दे रहे है।
ग्रेटर फ्लेङ्क्षमगो का लगभग 70 की संख्या का एक झुंड जिसमे लगभग 8 सदस्य वयस्क और अधिकांश अवयस्क ग्रेटर फ्लेङ्क्षमगो है, जो कि बांध पर दिखाई दे रहे है। ये शायद अवयस्क काल की अवधि के बाद यहां से रवाना होगें। इस बार प्रवासी पक्षियों में सबसे अधिक संख्या यूरेशियन कूट,ब्लैक टेल्ड गोडविट, रफ,ग्रेट कोर्मोरेंट, डालमेशियन पेलीकन, रोजी पेलिकन, बार हेडेड गीज, ग्रेटर फ्लेङ्क्षमगो, नॉर्दन शोवलर, कोमन शेलडक, रूडी शेल्डक ग्रीन ङ्क्षवग्ड टील आदि की रही। उनके प्रयासों से व जिला कलेक्टर और डीएफओ के संयुक्त प्रयास से ही 8 फिट पानी हमेशा के लिए रिजर्व भी
करवाया है। मोरेल बांध के संरक्षण और इसे कंजरवेशन रिजर्व बनाया जाना चाहिए।क्योंकि बहुतायत में यहां प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षी यहां आते है।
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