book lovers day: Books have their own fun even in digital times अब तो पुस्तक भी ऑनलाइन ही पढ़ी जा रही हैं। एक क्लिक पर सब उपलब्ध हो जाता है। स्कूल-कॉलेज की लाइब्रेरी में किताबों की हालत खस्ता हो चुकी है। अधिकतर वहां सन्नाटा ही नजर आता है। सार्वजनिक पुस्तकालयों का भी यही हाल है। इन सब हालातों के बीच बुक लवर्स डे पर प्रस्तुत है आपके सामने चुनिंदा पुस्तक प्रेमियों की बातें।
सहेज रखी हैं पुस्तकें
जिस दिन से चला हूं, मेरी मंजिल पे नजर है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
कल न हम होंगे, न कोई गिला होगा
सिर्फ इन बिखरी किताबों का सिलसिला होगा
जिस दिन से चला हूं, मेरी मंजिल पे नजर है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
कल न हम होंगे, न कोई गिला होगा
सिर्फ इन बिखरी किताबों का सिलसिला होगा
कुछ इन पंक्तियों के साथ गुप्तेश्वर रोड स्थित रामपुरी कॉलोनी में रहने वाले प्रधानाचार्य रामबाबू ज्योति ने अपना पुस्तक प्रेम जाहिर किया। राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर सम्मानित ज्योति के पास स्वलिखित पुस्तकों से आलमारी भरी है। इसके अलावा कई लेखकों की पुस्तकें पढऩे का शौक है। उन्होंने पुस्तकों को ड्राइंग रूम में सहेज रखा है। उनका मानना है कि पुस्तक पढऩे से व्यक्ति का चरित्र बेहतर होता है।
Book lovers day: Books have their own fun even in digital times पुस्तकों से मित्रता
अध्यापिका कल्पना शर्मा को पुस्तकें पढऩे का शौक है। उन्होंने बताया कि पुस्तकें उनके लिए मित्र से भी बढ़कर हैं। उन्होंने अभिज्ञान शाकुंतलम्, अटलबिहारी वाजपेयी की आत्मकथा सहित दर्जनों पुस्तकों को पढ़ा है। कामकाजी महिला होने के बावजूद वे पुस्तक पढऩे के लिए प्रतिदिन समय निकाल लेती हैं। शर्मा का कहना है कि अध्ययन से सोचने की दिशा मिलती है। ज्ञान व व्यक्तित्व में निखार आता है। बोलने की क्षमता बढ़ती है।
अध्यापिका कल्पना शर्मा को पुस्तकें पढऩे का शौक है। उन्होंने बताया कि पुस्तकें उनके लिए मित्र से भी बढ़कर हैं। उन्होंने अभिज्ञान शाकुंतलम्, अटलबिहारी वाजपेयी की आत्मकथा सहित दर्जनों पुस्तकों को पढ़ा है। कामकाजी महिला होने के बावजूद वे पुस्तक पढऩे के लिए प्रतिदिन समय निकाल लेती हैं। शर्मा का कहना है कि अध्ययन से सोचने की दिशा मिलती है। ज्ञान व व्यक्तित्व में निखार आता है। बोलने की क्षमता बढ़ती है।
Book lovers day: Books have their own fun even in digital times समझने की ताकत मिलती है
अध्यापक कमलसिंह गुर्जर ने मुंशी प्रेमचंद से लेकर रोमियो-जुलियट, शेक्सपीयर सहित नामचीन लेखकों की किताबों का अध्ययन किया है। उनका पुस्तक प्रेम आज भी बरकरार है। गुर्जर का कहना है कि किताबें पढऩे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे समझने की ताकत मिलती है। साहित्य हमें तात्कालिक समय की वस्तुस्थिति से अवगत कराता है। शिक्षण के क्षेत्र में गिजूभाई भदेका की दिवास्वप्र ने प्रेरित किया। गुर्जर ने पुस्तकों का सदुपयोग कैसे किया जाए, इस संबंध में शोध भी राज्य सरकार को प्रस्तुत किया है।
अध्यापक कमलसिंह गुर्जर ने मुंशी प्रेमचंद से लेकर रोमियो-जुलियट, शेक्सपीयर सहित नामचीन लेखकों की किताबों का अध्ययन किया है। उनका पुस्तक प्रेम आज भी बरकरार है। गुर्जर का कहना है कि किताबें पढऩे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे समझने की ताकत मिलती है। साहित्य हमें तात्कालिक समय की वस्तुस्थिति से अवगत कराता है। शिक्षण के क्षेत्र में गिजूभाई भदेका की दिवास्वप्र ने प्रेरित किया। गुर्जर ने पुस्तकों का सदुपयोग कैसे किया जाए, इस संबंध में शोध भी राज्य सरकार को प्रस्तुत किया है।
Book lovers day: Books have their own fun even in digital times पुस्तक प्रेमी कभी अकेला महसूस नहीं करता
महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल के प्रधानाचार्य रविन्द्र चतुर्वेदी की साहित्यिक रूप से भी दौसा में पहचान है। उनके पास किताबों को बड़ा कलेक्शन है। चतुर्वेदी का कहना है कि पुस्तक प्रेमी व्यक्ति कभी भी स्वयं को अकेला महसूस नहीं करता है। पुस्तक किसी भी सभ्य समाज की सच्ची पूंजी है। पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान उन्नत होता है। रामायण व गीता को पढऩे से कर्तव्यपथ पर चलने की प्रेरणा मिलती है। प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य चतुर सेन, शरतचंद्र आदि उनके प्रिय लेखक हैं।
महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल के प्रधानाचार्य रविन्द्र चतुर्वेदी की साहित्यिक रूप से भी दौसा में पहचान है। उनके पास किताबों को बड़ा कलेक्शन है। चतुर्वेदी का कहना है कि पुस्तक प्रेमी व्यक्ति कभी भी स्वयं को अकेला महसूस नहीं करता है। पुस्तक किसी भी सभ्य समाज की सच्ची पूंजी है। पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान उन्नत होता है। रामायण व गीता को पढऩे से कर्तव्यपथ पर चलने की प्रेरणा मिलती है। प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य चतुर सेन, शरतचंद्र आदि उनके प्रिय लेखक हैं।
Book lovers day: Books have their own fun even in digital times बचपन में पढ़ी कविता ने दी दिशा
साहित्यकार राजेन्द्र यादव आजाद की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके पास करीब 2 हजार पुस्तकों का संग्रह है। यादव को रात को नींद पुस्तक पढऩे के बाद ही आती है। यादव ने बताया कि कक्षा छह में राजस्थान पत्रिका में डॉ. अरुणप्रकाश अवस्थी की कविता पढ़कर उनमें लेखन की ललक जगी। पुस्तकें पढ़कर वे भी मन के भाव कागज पर लिखने लगे। कविता, व्यंग्य, कहानी, लघु कथा आदि लिखते हैं।
साहित्यकार राजेन्द्र यादव आजाद की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके पास करीब 2 हजार पुस्तकों का संग्रह है। यादव को रात को नींद पुस्तक पढऩे के बाद ही आती है। यादव ने बताया कि कक्षा छह में राजस्थान पत्रिका में डॉ. अरुणप्रकाश अवस्थी की कविता पढ़कर उनमें लेखन की ललक जगी। पुस्तकें पढ़कर वे भी मन के भाव कागज पर लिखने लगे। कविता, व्यंग्य, कहानी, लघु कथा आदि लिखते हैं।
Book lovers day: Books have their own fun even in digital times