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दो वर्ष से सरसों-चना खरीदना भूली सरकार

locationदौसाPublished: Apr 08, 2016 11:44:00 pm

सरसों व चने की जिंसों की समर्थन मूल्य पर दो वर्ष से खरीद नहीं होने से किसानों को कृषि उपज मण्डियों एवं गांवों

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दौसा।सरसों व चने की जिंसों की समर्थन मूल्य पर दो वर्ष से खरीद नहीं होने से किसानों को कृषि उपज मण्डियों एवं गांवों के व्यापारियों को औने-पौने दामों में ही बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि कृषि उपज मण्डियों में सरसों व चने की जिंसों की बम्पर आवक हो रही है।

वर्ष 2014 में तो सरकार ने इन फसलों की जिंसों को समर्थन मूल्य पर खरीद की थी, लेकिन अब सरकार दो वर्ष से इनकी खरीदारी करना ही भूल गई है। खास बात यह है कि किसानों की मांग को न तो किसी राजनेता ने मंच पर उठाया है और न ही सरकार ध्यान दे रही है।

सरसों की बुवाई अधिक फिर भी…

जिले में गेहंू से अधिक बुवाई का रकबा सरसों का है, फिर भी सरकार ने सरसों की खरीद के लिए न तो कोई खरीद केन्द्र खोले और न ही कोई और व्यवस्था की। जिलेभर में वर्ष 2015-16 में 2 लाख 24 हजार हैक्टेयर भूमि में बुवाई की है। इससे में साढ़े 42 प्रतिशत भूमि में अकेली सरसों की बुवाई की है, जबकि गेहूं का रकबा 40 प्रतिशत ही है।



सरकार करती है निर्णय
 किस फसल की जिंस को समर्थन मूल्य पर खरीदना है किस को नहीं यह निर्णय सरकार करती है। क्रय-विक्रय सहकारी समितियां तो राजफैड के लिए खरीददारी कर रही है।
अनिल मित्तल, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति दौसा

प्रतिदिन पन्द्रह सौ बोरी की आवक

 यहां कृषि उपज मण्डी में सरसों की आवक प्रतिदिन करीब 1 हजार 500 बोरी की हो रही है। जबकि गेहूं भी कमोबेश इतना ही आ रहा है।राकेश चौधरी, मानगंज अध्यक्ष व्यापार एसोएिसन दौसा

 दो वर्ष पहले खरीदे थे सरसों-चना

 वे कई वर्षों से समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर जिंस खरीद का कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2014 में चना व सरसों की खरीदारी हुई थी, इसके बाद नहीं की। विनोद शर्मा, सेल्समैन समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र दौसा


सरसों-चना तो किसान बेचते ही हैं


किसान सरसों व चने की फसलों का उत्पादन तो इनको बाजार में बेचने के लिए ही करते हैं, क्योंकि ये खाद्यान्न नकदी फसलों में भी गिनती में आते हैं। हर किसान इन फसलों की जिंसों को बेचता है। जबकि गेहूं की फसल को वे ही किसान बेचते हैं जिनके यहां एक साल तक का खाद्यान्न जमा होने के बाद जो शेष बचता है उसी गेहूं को वे बेचते हैं। जबकि 8 प्रतिशत के साथ तीसरे नम्बर पर बुवाई चने की हुई है।
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