गौरतलब है कि दौसा नगर परिषद में कांग्रेस के 17, भाजपा के 12 तथा निर्दलीय 11 पार्षद हैं। गत 3 जनवरी को तत्कालीन सभापति राजकुमार जायसवाल के खिलाफ पारित अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 9 भाजपा, 14 कांग्रेस व 7 निर्दलीय पार्षद रहे। भाजपा व कांग्रेस के 3-3 तथा 4 निर्दलीय पार्षदों ने मतदान नहीं किया था।
30 से 35 पार्षदों का दावा
गुप्त स्थान पर गए कांग्रेसी खेमे का दावा है कि उनके पास 30 से 30 पार्षद हैं। हालांकि पार्षदों का कहना है कि मुरली मनोहर कांग्रेस से निर्वाचित पार्षद हैं, लेकिन वर्तमान में पार्टी की जगह सभी पार्षदों की सहमति से मैदान में है। गौरतलब है कि गत सभापति राजकुमार जायसवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में 40 में से 30 पार्षदों की भूमिका रही थी। इनमें भाजपा, कांग्रेस व निर्दलीय शामिल थे। गत दिनों इन पार्षदों ने सर्वसम्मति बनाने के लिए आधा दर्जन दावेदारों के नाम की पर्ची निकाली। इसमें मुरलीमनोहर शर्मा का नाम सामने आया। हालांकि बाद में कुछ पार्षदों ने भाजपा नेताओं के साथ बैठक कर चर्चा की, लेकिन उम्मीदवार का नाम तय नहीं हुआ।
पर्ची का चक्कर…
दो साल पहले 21 अगस्त 2015 को हुए सभापति के चुनाव में भाजपा के राजकुमार जायसवाल व कांग्रेस के मुरलीमनोहर शर्मा को 20-20 बराबर मत मिले थे। तब पर्ची से फैसला हुआ था और भाजपा के जायसवाल की किस्मत खुली थी। वहीं अब 30 पार्षदों ने एकराय बनाने के लिए पर्ची निकाली तो मुरलीमनोहर की किस्मत खुली है। अब कोई भीतरघात नहीं हुआ तो उनका निर्वाचन तय माना जा रहा है।