मैरिज गार्डनों में बिजली फिटिंग का भी अभाव है। वहां धरातल पर ही तारों का जाल बिछा रहने से कई बार लोग करंट का झटका महसूस करते हैं। बरसात के दिनों में इन तारों में करंट प्रवाहित होने से बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। कई मैरिज गार्डनों में तो हाइटेंशन विद्युत लाइन ही गुजर रही है।
जिला मुख्यालय पर भी नगर परिषद की अनदेखी के चलते विवाह स्थल बिना सुरक्षा व्यवस्था के संचालित हो रहे हैं। इन मैरिज गार्डन में कभी हादसा या घटना भी हो जाए तो इनमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
जबकि भरतपुर में मई माह में मैरिज गार्डन में हुए हादसे में दो दर्जन से अधिक लोग जांन गंवा चुके हैं, वहीं गत दिवस जयपुर में शॉर्ट सर्किट के कारण आगजनी हो गई थी। वहां भी आग बुझाने के कोई उपकरण नहीं होने से बड़ा हादसा हो गया। गनीमत यह रही कि इस दौरान कोई नहीं होने से बड़ा हादसा टल गया। कई मैरिज गार्डनों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं मिलेंगे। कहीं पर बिजली के तारों का जाल बिछा मिलेगा तो भवन की दीवारें जर्जर। यहां तक गार्डनों में गार्ड की तैनाती नहीं होने से वाहन चोरी होने की भी आशंका बनी रहती है।
लेते हैं मोटी रकम
जिला मुख्यालय पर बढ़ती आबादी के चलते कॉलोनियों व मुख्य सड़क मार्गों पर विवाह समारोह सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मैरिज गार्डन बुक कराते हैं। जिनकी एवज में संचालकों द्वारा एक लाख तक वसूले जाते हैं। इसमें भी बिजली, डेकोरशन सहित सफाई के लिए अलग से शुल्क वसूला जाता है।
परिषद वसूलती है राजस्व
जिला मुख्यालय पर परिषद सूत्रों के अनुसार 22 मैरिज गार्डन हैं। जबकि एक दर्जन के करीब अवैध रूप से मैरिज गार्डन हो रहे हैं। पंजीकृत मैरिज गार्डन संचालकों से नगर परिषद प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार रुपए का राजस्व वसूलती है। इसके चलते परिषद को प्रतिवर्ष इन मैरिज गार्डनों से चार से पांच लाख रुपए तक की सालाना आय होनी चाहिए, लेकिन सूत्रों के अनुसार परिषद को मात्र डेढ़ से दो लाख राजस्व प्राप्त हो रहा है। इससे राजस्व घाटा होने के बाद भी परिषद कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
जिला मुख्यालय पर परिषद सूत्रों के अनुसार 22 मैरिज गार्डन हैं। जबकि एक दर्जन के करीब अवैध रूप से मैरिज गार्डन हो रहे हैं। पंजीकृत मैरिज गार्डन संचालकों से नगर परिषद प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार रुपए का राजस्व वसूलती है। इसके चलते परिषद को प्रतिवर्ष इन मैरिज गार्डनों से चार से पांच लाख रुपए तक की सालाना आय होनी चाहिए, लेकिन सूत्रों के अनुसार परिषद को मात्र डेढ़ से दो लाख राजस्व प्राप्त हो रहा है। इससे राजस्व घाटा होने के बाद भी परिषद कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
गौरतलब है कि सुरक्षा उपकरणों का अभाव व टैक्स जमा नहीं कराने पर परिषद की टीम ने जिला मुख्यालय पर नौ मैरिज गार्डनों को सीज कर दिया था। बाद में उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दो माह के लिए संचालकों को मैरिज गार्डन चालू करने के निर्देश दिए थे।
सफाई पर नहीं बिल्कुल ध्यान
संचालक विवाह समारोह करने वाले व्यक्ति से सफाई के नाम पर पांच सौ से एक हजार रुपए तक वसूल लेते हैं, लेकिन संचालक दूषित भोजन सहित अन्य बेकार सामान को बीच मार्ग पर फेंक देते हैं। इनमें आवारा पशुओं के विचरण करने से लोगों को आवागमन में परेशानी झेलनी पड़ती है। जबकि नगर परिषद सफाई के नाम पर मैरिज गार्डन संचालकों से प्रतिमाह एक हजार रुपए वसूलती है, लेकिन फिर भी वहां पर गंदगी के ढेर कई दिनों तक लगे रहते हैं।
टैक्स ही जमा नहीं कराया
जिला मुख्यालय पर संचालित मैरिज गार्डनों के संचालकों ने अभी तक यूडी टैक्स ही जमा नहीं कराया है। इस कारण इन मैरिज गार्डनों को फायर की एनओसी जारी नहीं की जा रही है। टैक्स जमा कराने पर मैरिज गार्डन की जांच करने के बाद फायर की एनओसी जारी की जाएगी। फिलहाल मैरिज गार्डन संचालकों को टैक्स जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
नरेशकुमार मीना सहायक अग्निशमन अधिकारी, दौसा
जिला मुख्यालय पर संचालित मैरिज गार्डनों के संचालकों ने अभी तक यूडी टैक्स ही जमा नहीं कराया है। इस कारण इन मैरिज गार्डनों को फायर की एनओसी जारी नहीं की जा रही है। टैक्स जमा कराने पर मैरिज गार्डन की जांच करने के बाद फायर की एनओसी जारी की जाएगी। फिलहाल मैरिज गार्डन संचालकों को टैक्स जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
नरेशकुमार मीना सहायक अग्निशमन अधिकारी, दौसा