सदर थाना प्रभारी रविन्द्र चौधरी ने बताया कि जिला पुलिस विशेष टीम के प्रभारी उप निरीक्षक राजेश कुमार ने मामला दर्ज कराया कि जिला अस्पताल की शाखा के रूप में मीणा छात्रावास को अस्थाई कोरोना आइसोलेशन वार्ड बनाया था। यहां पर संदिग्धों को भर्ती कर उनके सैम्पल जांच के लिए जयपुर भेज दिए थे। वार्ड में भर्ती कोरोना संदिग्ध थूमड़ी निवासी रिंकु कुमार, कंवरपुरा निवासी नरसी मीणा, चूडिय़ावास निवासी कृष्ण बैरवा, कालीपहाड़ी निवासी राहुल कुमार, सौदान, मुथरेश, कमलेश , इन्द्राज व मीठालाल, भाण्डारेज निवासी हरिनारायण व बड़ी बैरास निवासी विनोद कुमार के खिलाफ (आईपीसी की धारा 188, 239, 270 व 271) द्वेषतापूर्व दूसरे लोगों के जीवन को संकट में डालने का मामला दर्ज कराया गया है।
विश्वभर में कोरोना वायरस के संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन दौसा जिले का चिकित्सा एवं सामान्य प्रशासन मामले को हल्के में ले रहे हैं। आइसोलेसशन वार्ड से मरीज को 14 दिन तक बाहर नहीं निकलने दिया जाता है, लेकिन यहां तो हालात बदतर हैं। संदिग्ध मरीजों के फरार होने से सवाल खड़े हो गए हैं। यहां पर तैनात सुरक्षाकर्मी भी अपनी ड्यूटी के प्रति गम्भीरता नहीं बरत रहे हैं। यदि सुरक्षा व्यवस्था में चूक नहीं होती है शायद ये संदिग्ध मरीज यहां से फरार ही नहीं होते।
जिले में सोमवार शाम तक 82 संदिग्ध मरीजों के सैम्पल लेकर कोरोना बीमारी की जांच के लिए जयपुर भेज दिए। इनमें से 68 जनों की रिपोर्ट ही आ पाई है। शेष की रिपोर्ट अभी तक विचाराधीन है, फिर भी इतनी बड़ी चूक हो गई। यह गम्भीर मामला है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि कई संदिग्ध मरीजों को तो यहां के चिकित्सकों ने होम आइसोलेट की सलाह देकर घर भेज दिया। 82 मरीजों से मात्र 30 मरीजों के आसपास ही मरीज अस्पताल में थे। जबकि दो से तीन बार सेम्पल लेकर जांच कराई जाती है।