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लॉकडाउन के बीच मझधार में फंसे पशुपालक

locationदौसाPublished: Apr 10, 2020 09:25:53 am

Submitted by:

Rajendra Jain

– पशु आहार की दुकानों के लिए आदेश नहीं स्पष्ट

लॉकडाउन के बीच मझधार में फंसे पशुपालक

मानपुर- लीखली गांव में पशु आहार का इंतजार करते दुधारू पशु।

मानपुर. लॉकडाउन के बीच अतिआवश्यक चीजों की दुकान खुली रखने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन सरकार पशुओं की चिंता नहीं कर रही है। दरअसल पशुआहार की दुकानें खोलने को लेकर कोई स्पष्ट आदेश नहीं है। ऐसी स्थिति में पशुपालक और किसान परेशान हैं, उन्हें अपने पशुओं के भूखे रहने की तकलीफ सता रही है। लॉक डाउन की अभी शुरुआत है, इसलिए हालात काबू में हैं, लेकिन जल्द ही इस पर कोई फैसला सरकार नहीं लेती है तो स्थिति बहुत खराब हो सकती है।
ऐसे में प्रशासन को जल्द ही दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसानों के प्रति गम्भीरता से निर्णय लेना होगा। वरना दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसानों के दुधारू पशु बिना भोजन के दम तोडऩे लगेंगे। वहीं इस व्यवसाय से जुड़े किसानों को लाखों की आर्थिक क्षति भी होगी। लॉक डाउन के हालात में शासन ने अनिवार्य सेवाओं में मेडिकल स्टोर्स, किराना दुकान, दूध, सब्जी, फल को छोडकऱ सारी दुकानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। रोजमर्रा के सामानों में दूध के विक्रय पर तो छूट दी गई है, लेकिन किसान अपने पशुओं के भोजन की व्यवस्था कैसे करें। पशु आहार की दुकानों पर भी लॉक डाउन के चलते प्रतिबंध लगा हुआ है। पशु आहार की सारी दुकानें बंद हैं। ब्लॉक सिकराय ही नही सम्ंपूर्ण जिले के दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसानों के सामने बड़ी जटिल स्थिति दिखाई दे रही है कि वो अपने इन दुधारू पशुओं को कैसे पालें। छोटे और मझले किसान जो रोज दूध बेचकर अपने दुधारू पशुओं के लिए पशु आहार की व्यवस्था कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, उनके सामने अब यह समस्या है कि वे पशुओं का भरण पोषण कैसे करें।
– पूरे जिले में बंद है पशु आहार की दुकानें
लॉक डाउन के चलते पशु आहार की सारी दुकाने बंद हैं। चारा व पशुआहार की सप्लाई नहीं हो रही है। वहां की दुकानें भी बंद हैं। ऐसे में इसका सीधा असर जिलेभर के पशुपालकों पर भी पड़ रहा है। दूध की सप्लाई को सरकार ने जरूरी सेवा में गिना, लेकिन जहां से दूध का उत्पादन हो रहा है, उन पशुुओं के लिए सरकार ने कोई ढील नहीं दी है। जो कि चिंतनीय स्थिति है।
पशुआहार की दुकान खोलने की छूट मिले
पशुपालक संतोष गुुर्जर, जगदीश गुर्जर सहित अन्य पशुपालकों ने प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि राशन दुकानों की तरह किसानों के हितों में पशु आहार की दुकानों पर प्रतिबंध हटाया जाए। जिससे कि किसान अपने दुधारू पशुओं का आहार प्राप्त कर उनका भरण पोषण करते हुये प्रदेश के जरूरतमन्दों को दूध उपलब्ध करा सकें। उन्होंने बताया कि किसानों के पास दो दिनों का भी पशु आहार नही है। ऐसे में आने वाले दिनों में दुधारू पशुओं के पालने की चिंता सता रही है।
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