scriptपकने से पहले ही मुरझा गई फसल, अनाज व चारे का आएगा संकट | Croped crop grains and fodder will come before even before cooking | Patrika News

पकने से पहले ही मुरझा गई फसल, अनाज व चारे का आएगा संकट

locationदौसाPublished: Sep 17, 2017 08:49:14 am

Submitted by:

rajkumar meena

दौसा जिले में हालात अकाल जैसे होने लगे हैं।

dausa agriculture

dausa agriculture

दौसा. बरसात कम होने से इस वर्ष खेतों में खरीफ की फसल पककर कटने से पहले ही मुरझा कर सूखती जा रही है। किसानों के सामने अब पेट भरने के लिए अनाज तथा पशुओं के लिए चारे का सकंट पैदा हो गया है। बैंक व साहूकारों को चुकाने के लिए ऋण, बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए रकम जुटाने का संकट भी खड़ा हो चुका है।

खास बात यह है कि खेतों में 80 फीसदी फसल खराब हो चुकी है, लेकिन इस ओर न सरकारी नुमाइंदों का ध्यान जा रहा है और ना ही जनप्रतिनिधियों का। किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। किसानों के खेतों में बाजरे की फसल सट्टा निकलने से पहले ही मुरझाकर सूख गई है। तिल, ग्वार, मक्का, ज्वार व मंूगफली की फसलें भी करीब-करीब खराब हो चुकी है।

बरसात नहीं होने से खेतों में नमी नहीं है, ऐसे में आगामी रबी की सरसों व चने की फसलों की बुवाई के भी आसार नहीं दिख रहे। हालात अकाल जैसे हो गए हैं। पशुओं के भाव घट रहे हैं तो चारे के भाव आसमान छू रहे हैं।
सस्ते दामों में बेचने पड़ रहे हैं पशु


चारे का संकट खड़ा होने से पशुपालक अपने पशु औने-पौने दामों में ही बेचने को मजबूर हंै। दुधारू भैंस की कीमत एक महीने पहले 70 हजार रुपए थी, आज वह 40 से 50 हजार रुपए तक में बेची जा रही है। जो पशु गोबर खाद के लिए रखे जा रहे थे, उनको भी पशुपालक सस्ते दामों में बेच रहे हैं।

बाजरा है खरीफ की रीढ़


कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष किसानों ने जिलेभर में करीब 1 लाख 80 हजार 770 हैक्टेयर भूमि में फसलों में बुवाई की। यह गत 5 वर्ष में सबसे कम है। इसमें 1 लाख 38 हजार 900 हैक्टेयर भूमि में किसानों ने बाजरे की बुवाई की है। शेष में मूंगफली, ग्वार, तिल आदि बोया गया। किसी भी फसल में दम नहीं है। अधिकतर सूख कर मुरझा गई हैं।

सरकार को भी घाटा


खेतों में अनाज पैदा नहीं होने के कारण न केवल किसानों को ही तकलीफ भुगतनी पड़ेगी, बल्कि पैदावार अच्छी होती तो उनका अनाज मण्डियों में पहुंचता और मण्डियों के माध्यम से सरकार को भी राजस्व आय होती।

फैक्ट फाइल
1. जिले में रकबा – 1 लाख 80 हजार 777
2. बाजरे की फसल -1 लाख 38 हजार 900
3. 2017 में बारिश – औसत 320 एमएम
4. 2016 में बारिश – औसत 815.83 एमएम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो