कार्यशाला में अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) डॉ. मनीषा शर्मा ने कहा कि पत्रिका ने बेटियों को आगे लाने की जो मुहिम शुरू की है, वह सराहनीय है। सभी को बालिका उत्थान के लिए सहयोग करना चाहिए। बेटे-बेटी में फर्क नहीं कर समान व्यवहार करना चाहिए। पढ़ा-लिखाकर बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।
अग्रवाल समाज की पूर्वअध्यक्ष व शिक्षाविद् माधुरी गुप्ता ने कहा कि बेटी को शिक्षित करना चाहिए, क्योंकि बेटी चिराग है तथा दो घरों को रोशनी करती है। जिम्मेदार नागरिक बनकर बेटियों को आगे लाना हम सबका दायित्व है। गुप्ता ने ‘बेटी के गुण-त्यागÓ कविता भी प्रस्तुत की।
इनरव्हील क्लब की सचिव वंदना आर्य ने कहा कि बालिकाओं के प्रति सोच बदलने की जरूरत है। भू्रण हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध हो रहे हैं। इन्हें रोकने की जिम्मेदारी समाज के साथ हर व्यक्ति की है। बालिकाएं घर की मर्यादा व सम्मान का प्रतीक हैं।
भारत विकास परिषद की करुणा शर्मा ने बेटियों का महत्व बताते हुए कहा कि आज महिला शक्ति कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। समाज के निचले तबके तक बेटियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए सभी को प्रयास करने चाहिए।
डॉ. संजय गोयल ने कहा कि बालिकाओं के अ’छे स्वास्थ्य के लिए मानसिक सोच को बदलने की भी जरूरत है। माहवारी के समय स्व’छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। डॉ. गोयल ने कन्या भू्रण हत्या रोकने के कानूनी कदम भी बताए।
व्याख्याता सतीश गुप्ता ने कहा कि बालिकाओं को आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक स्तर पर वृहद रूप से प्रयास होने चाहिए। वर्तमान में टीवी-इंटरनेट संस्कृति को विकृत भी कर रहे हैं। इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। अनिता जैन ने कहा कि बालिकाओं के उत्थान के लिए सकारात्मक मानसिकता की आवश्यकता है। ब”ाों में भेदभाव नहीं रखा जाए। छोटीलाल शर्मा ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति ने हमें मूल भावना व रास्ते से भटका दिया है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। बालिका शिक्षा से ही समृद्धि की राह है।
शिक्षक कमलसिंह गुर्जर ने कहा कि बेटियों से ही घर, परिवार व समाज में खुशहाली है। बेटियों को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाना समय की जरूरत है। इस दौरान गायत्री शर्मा, सीमा मीना, रीता शर्मा, मंजू शर्मा, मोहनलाल शर्माआदि ने भी विचार व्यक्त किए। आखिर में छात्राओं ने बेटियों को लेकर शानदार गीत भी प्रस्तुत किया।