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सात बेटियों के सिर से उठा पिता का साया, पालन-पोषण का संकट

locationदौसाPublished: Dec 07, 2020 11:23:07 pm

Submitted by:

Rajendra Jain

परिवार पर टूट पड़ा दुखों का पहाड़, बदहाल जीवन जीने को मजबूर परिवार

सात बेटियों के सिर से उठा पिता का साया, पालन-पोषण का संकट

भंडाना. मृतक बीरबल की पत्नी व उसकी पुत्रियां।

दौसा. . नियति भी कैसे -कैसे खेल दिखाती है। एक ऐसी घटना जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। परिवार के एकमात्र पालनहार मुखिया पिता के आकस्मिक निधन से पूरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।
ऐसा ही एक हादसा ग्राम भंडाना की बैरवा ढाणी में हुआ। बीरबल जोनवाल (40) का गत दिनों कैंसर की बीमारी से देहांत हो गया। इसके माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था।
तभी से यह मजदूरी कर संघर्षरत था। पत्नी सहित सात पुत्रियों के परिवार का एक मात्र कमाने वाला बीरबल मजदूरी करके पालन-पोषण रहा था। बड़ी बच्ची प्रिया की शादी के लिए तैयारी कर रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मुखिया के आकस्मिक निधन से परिवार पर संकट का पहाड़ टूट पड़ा। मृतक की पत्नी काली बैरवा ने बताया कि पति के कैंसर के इलाज में जमीन, जेवर आदि सभी बेच दिए। उधारी कर इलाज कराया, लेकिन जान नहीं बच पाई। अब इन सात पुत्रियों का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। इन्हें अकेले छोड़कर मज़दूरी भी नहीं करने जा सकती। एक छोटी बच्ची तो अभी दूधमुंही है।
पुत्रियों ने दिया अर्थी को कंधा : मृतक की पुत्रियों ने पुत्र की रस्म अदा करते हुए पिता की अर्थी को कन्धा दिया था तो शव यात्रा में सम्मिलित सभी लोगों की आंखों से अश्रुधारा निकल पड़ी। इससे माहौल गमगीन हो गया था।
नहीं आया कोई भामाशाह आगे
इस विकट समस्या में ना तो सरकार की ओर से कोई सहायता मिली और ना ही कोई भामाशाह उनके सिर पर हाथ रखने पहुंचा। सहमी हुई सी सात पुत्रियां प्रिया(18), नीतू (16) रिंकू (14) सिमरन (12) तमन्ना (10) सोनाक्षी (5) आयशा (2) ढांढ़स बंधाने वालों की तरफ से सहायता की अपेक्षा लिए दिनभर अपनी माता से लिपटकर सिसकती रहती है, लेकिन कोई मदद इस पीडि़त परिवार के पास अभी तक नहीं पहुंची है। पिता का साया उठ जाने से परिवार बदहाल जीवन जीने को मजबूर हो गया है।
नहीं मिल रही कोई सरकारी सहायता
मृतक की पुत्री प्रिया ने बताया कि उन्हें किसी भी योजना से कोई सहायता नहीं मिली। बीपीएल तो हैं, लेकिन इंदिरा आवास आज तक नहीं मिला। श्रमिक डायरी तो बना दी पर चालू नहीं की। उसने बताया कि हम तीनों बड़ी बहनों को आज तक भी शैक्षणिक छात्रवृत्ति भी नहीं मिली। अब पढ़ाई छोड़कर परिवार पालने के लिए मजदूरी ही एक मात्र विकल्प रह गया है।
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