पुत्रियों ने दिया अर्थी को कंधा : मृतक की पुत्रियों ने पुत्र की रस्म अदा करते हुए पिता की अर्थी को कन्धा दिया था तो शव यात्रा में सम्मिलित सभी लोगों की आंखों से अश्रुधारा निकल पड़ी। इससे माहौल गमगीन हो गया था।
नहीं आया कोई भामाशाह आगे
इस विकट समस्या में ना तो सरकार की ओर से कोई सहायता मिली और ना ही कोई भामाशाह उनके सिर पर हाथ रखने पहुंचा। सहमी हुई सी सात पुत्रियां प्रिया(18), नीतू (16) रिंकू (14) सिमरन (12) तमन्ना (10) सोनाक्षी (5) आयशा (2) ढांढ़स बंधाने वालों की तरफ से सहायता की अपेक्षा लिए दिनभर अपनी माता से लिपटकर सिसकती रहती है, लेकिन कोई मदद इस पीडि़त परिवार के पास अभी तक नहीं पहुंची है। पिता का साया उठ जाने से परिवार बदहाल जीवन जीने को मजबूर हो गया है।
इस विकट समस्या में ना तो सरकार की ओर से कोई सहायता मिली और ना ही कोई भामाशाह उनके सिर पर हाथ रखने पहुंचा। सहमी हुई सी सात पुत्रियां प्रिया(18), नीतू (16) रिंकू (14) सिमरन (12) तमन्ना (10) सोनाक्षी (5) आयशा (2) ढांढ़स बंधाने वालों की तरफ से सहायता की अपेक्षा लिए दिनभर अपनी माता से लिपटकर सिसकती रहती है, लेकिन कोई मदद इस पीडि़त परिवार के पास अभी तक नहीं पहुंची है। पिता का साया उठ जाने से परिवार बदहाल जीवन जीने को मजबूर हो गया है।
नहीं मिल रही कोई सरकारी सहायता
मृतक की पुत्री प्रिया ने बताया कि उन्हें किसी भी योजना से कोई सहायता नहीं मिली। बीपीएल तो हैं, लेकिन इंदिरा आवास आज तक नहीं मिला। श्रमिक डायरी तो बना दी पर चालू नहीं की। उसने बताया कि हम तीनों बड़ी बहनों को आज तक भी शैक्षणिक छात्रवृत्ति भी नहीं मिली। अब पढ़ाई छोड़कर परिवार पालने के लिए मजदूरी ही एक मात्र विकल्प रह गया है।
मृतक की पुत्री प्रिया ने बताया कि उन्हें किसी भी योजना से कोई सहायता नहीं मिली। बीपीएल तो हैं, लेकिन इंदिरा आवास आज तक नहीं मिला। श्रमिक डायरी तो बना दी पर चालू नहीं की। उसने बताया कि हम तीनों बड़ी बहनों को आज तक भी शैक्षणिक छात्रवृत्ति भी नहीं मिली। अब पढ़ाई छोड़कर परिवार पालने के लिए मजदूरी ही एक मात्र विकल्प रह गया है।