scriptदुकान में भीषण आग, लाखों का कपड़ा हो गया राख | Fire in the shop, millions of garment became ashes | Patrika News

दुकान में भीषण आग, लाखों का कपड़ा हो गया राख

locationदौसाPublished: Sep 06, 2018 08:51:46 pm

Submitted by:

Mahesh Jain

शोर्ट सर्किट से लगी थी आग

दुकान में भीषण आग, लाखों का कपड़ा हो गया राख

दुकान में भीषण आग, लाखों का कपड़ा हो गया राख

लालसोट. शहर के बौली का बाजार में बुधवार रात एक कपड़े की दुकान में लगी भीषण आग से दुकान में मौजूद लाखों रुपए का कपड़ा जल कर राख हो गया। जानकारी के अनुसार रात करीब डेढ़ बजे रामफूल सैनी की दुकान से धुआं उठने पर आस-पास रहने वाले लोगोंं को घटना की जानकारी लगी।

मौके पर पहुंची नगरपालिका की दमकल ने मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक लाखों रुपए का कपड़ा जल गया। प्रथम दृष्टया आग लगने के कारण बिजली का शॉर्ट सर्किट होना बताया जा रहा है। इसके बाद गुरुवार सुबह करीब छह बजे फिर दुकान से धुआं निकलने पर पालिका की दमकल ने पहुंचकर आग पर काबू पाया। पालिका अध्यक्ष जगदीश सैनी ने भी घटना का जायजा लिया।

दो ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त

गुढ़ाकटलाा. कस्बे सहित परिक्षेत्र में गुरुवार को खनिज विभाग की टीम ने दो ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त की। विभाग के सर्वेयर सोनू अवस्थी के नेतृत्व में टीम ने कई जगह दबिश दी, लेकिन अवैध खननकर्ता मौके से भाग निकले। अरनिया के समीप नदी से बजरी भर कर ले जाते दो ट्रैक्टर ट्रॉली को जब्त कर गुढ़ाकटला पुलिस चौकी के सुपुर्द किया।

खुरपका- मुंहपका से पशु बीमार

महेश्वराकलां. कस्बे सहित आसपास गावो महेश्वरा खुर्द परोहिता का बास सींगपुरा, हाज्या का बास हरिपुरा जसोता लालू का बास में पिछले करीब एक पखवाड़े से बारिश की कमी के साथ मौमस से आए बदलाव के कारण पशुओं में खुरपका व मुंहपका रोग फै ल रहा है।

कई पशु मौत के ग्रास बन चुके हंै। पशुपालक विभाग की ओर से बारिश पहले टीकाकरण नहीं किए जाने से पशुपालक निजी चिकित्सकों से उपचार करवाने को मजबूर है। ग्रामीणों ने बताया कि बीमार पशुओं के उपचार के लिए गांव के आस-पास कोई भी सरकारी सुविधा नहीं होने व जिला चिकित्सालय से उपचार की मांग करने पर वे पशुओं को ही जिला चिकित्सालय पर लाने की बात कहते हैं जो असम्भव है।

निजी उपचार के कारण पशुपालकों पर आर्थिक भार बढ़ रहा है। पशुपालकों का आरोप है कि हर वर्ष पशुपालन विभाग जुलाई के दूसरे पखवाड़े से अगस्त के मध्य तक रोग प्रतिरोधक टीकाकरण किया जाता था। इससे पशुओं मे बीमारी कम फैलती थी। वर्तमान मे महेश्वराकलां हजारीलाल तिवाड़ी, विजेद्र पंचोली, महेश्वराखुर्द के जगदीश, मोतीलाल, सीताराम रमेशसहित अन्य पशुपालकों के अनेक पालतू पशु मुंहपका खुरपका के साथ शरीर पर मोटे चकते पडऩे की बीमारी की चपेट में है।
दुकान में भीषण आग, लाखों का कपड़ा हो गया राख
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो