ऐसे में अब प्रशिक्षण निजी विद्यालय, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, शारदे छात्रावास या धर्मशाला में आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं, जहां शौचालयों व स्नानागार की व्यवस्थाएं हों। उल्लेखनीय है कि जिले के अधिकतर प्रशिक्षण स्थलों पर स्नानागार की व्यवस्था नहीं है। शौचालय भी संभागियों की संख्या के अनुपात में नहीं है। ऐसे में सरकार ने संभागियों के लिए बेहतर व्यवस्था करने के लिए ये आदेश जारी किए हैं।
ये होंगी व्यवस्थाएं प्रशिक्षण व आवास स्थल पर न्यूनतम 5-5 शौचालय व स्नानागार, बिजली व जनरेटर, पेयजल, गुणवत्तापूर्णनाश्ता व भोजन, पर्याप्त कूलर व उनमें पानी भरने की व्यवस्था, प्रोजेक्टर व कम्प्यूटर, बायोमीट्रिक मशीन, टीचिंग लर्निंग मैटेरियल व एबीएल, पर्याप्त कमरे व बैठक व्यवस्था, नियमित सफाई, सहायक कर्मचारी व चौकीदार आदि व्यवस्थाओं को सर्वोच्च प्राथमिकताओं पर रखना होगा। सरकार ने अब पूरे प्रशिक्षण स्थल का ब्लॉक बदलने की अनुमति भी दे दी है।
आदेश के ये भी मायने सरकार के नए आदेश का मतलब साधारण रूप से तो संभागियों को बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने से हैं, लेकिन इसके पीछे अन्य कई कारण भी है। पहले चरण के शिविरों के बाद सरकार को फीडबैक मिला है कि अधिकतर जगह शिक्षक रात को नहीं ठहर रहे हैं। शिविर के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी आंख मूंदकर बैठे हैं।
जब आला अधिकारी सवाल करते हैं तो स्नानागार सहित अन्य कमियां बताकर संभागियों के रात को घर चले जाने की बात कहते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने अब व्यवस्थाओं को और मजबूत करने का निर्णय किया है। अब स्थानीय अधिकारी व संभागियों के पास कोई बहाना नहीं रहेगा।
इनका कहना है… जिला स्तरीय प्रशिक्षण समिति की बैठक शनिवार सुबह साढ़े दस बजे सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय में बुलाई गईहै। इसमें प्रशिक्षण स्थलों को बदलने पर चर्चा की जाएगी। अशोक शर्मा, एडीपीसी सर्व शिक्षा अभियान दौसा